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विधवा, तलाकशुदा ट्रेनी अध्यापिकाओं का मानदेय बढ़ाए जाने की मांग

locationजयपुरPublished: Jun 16, 2021 04:57:12 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

शिक्षाकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ालेकिन प्रशिक्षु अध्यापिकाओं को नहीं मिला यह लाभ8 हजार तलाकशुदा और विधवा महिलाओं को 2007 में किया गया था ट्रेनी प्रशिक्षु अध्यापिका के नाम से नियुक्त4200 रुपए प्रतिमाह के मानदेय पर कर रही हैं काम

विधवा, तलाकशुदा ट्रेनी अध्यापिकाओं का मानदेय बढ़ाए जाने की मांग

विधवा, तलाकशुदा ट्रेनी अध्यापिकाओं का मानदेय बढ़ाए जाने की मांग



जयपुर, 16 जून
राजस्थान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत तलाकशुदा और विधवा प्रशिक्षु अध्यापिकाओं (Divorced and Widow Trainee Teachers) के मानदेय में बढ़ोतरी किए जाने की मांग की है और इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Chief Minister Ashok Gehlot) को ज्ञापन भी भेजा है। संघ के महामंत्री महेंद्र पांडे ने बताया कि दरअसल प्रारंभिक शिक्षा विभाग के तहत प्रशिक्षु के रूप में अध्यापक पद पर कार्यरत विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को जिन्हें मानेदय के रूप में मात्र 4200 रुपए ही मिल रहे हैं। सरकार ने हाल ही में संविदाकर्मियों, शिक्षाकर्मियों आदि के मानदेय में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की है लेकिन इन प्रशिक्षु महिला अध्यापिकाओं को इसका लाभ नहीं मिल पाया क्योंकि यह संविदाकर्मियों की श्रेणी में नहीं आती।
इस वर्ष बजट घोषणा के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का न्यूनतम मानदेय 4450 रुपए और अधिकतम 7732 रुपए हो गया है। इसी प्रकार मदरसा शिक्षा सहयोगियों का न्यूनतम मानदेय 9916 और अधिकतम 11986 रुपए प्रति माह हो गया है। सरकार के निर्णय के मुताबिक प्रारंभिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2007-08 में अप्रशिक्षित होने पर भी लगभग आठ हजार विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को ट्रेनी प्रशिक्षु अध्यापिका के नाम से स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए नियुक्त किया गया था। ट्रेनी रहते हुए इन्हें 3500 रुपए प्रति माह मानदेय निर्धारित हुआ था जिसे 2013 में बढ़ाकर 4200 किया गया। शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन्हें अध्यापक ग्रेड थर्ड का पूरा वेतन देने का प्रावधान रखा गया। अधिकांश महिलाओं ने अपना प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया है। पांडे का कहना है कि शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन्हें थर्ड ग्रेड शिक्षक का पूरा वेतन देने का प्रावधान रखा गया था। शाला दर्पण के मुताबिक केवल 131 महिलाएं ही ऐसी हैं जो प्रशिक्षण प्राप्त नहीं की सकी है और अब अनट्रेंड महिलाओं को अध्यापिका के पद पर नियुक्ति भी बंद हो चुकी है ऐसे में इन अध्यापिकाओं का 2013 से 2021 तक संविदाकर्मियों के मानदेय में प्रतिवर्ष की गई बढ़ोतरी के बराबर मानदेय बढ़ाना चाहिए।
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