बता दें कि नगर निगम ने सितम्बर 2017 में शहर में 2 पारियों में फोगिंग करने का अभियान छेड़ा था, जो कुछ ही दिनों में बंद हो गया। अब नगर निगम के पास अभी फोगिंग के लिए कीटनाशक दवा ही उपलब्ध नहीं है। निगम ने फोगिंग के लिए पेस्टीसाइड खरीदने के लिए 22 मार्च को टेंडर जारी किया है, जो 6 अप्रैल को खुलेगा। इसका मतलब ये है कि निगम अगले 15 दिन तक फोगिंग शुरू नहीं कर पाएगा। जबकि मौसमी बदलाव के कारण शहर में मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ रहा है। शहर में मच्छरों के प्रकोप से डेगूं और मलेरिया के 1,400 से ज्यादा रोगी सामने आ चुके हैं।
मौसमी बीमारियों से बेखबर नगर-निगम
स्मार्ट सिटी बनने जा रही राजधानी जयपुर में ये स्थिति तब है जब नगर निगम ने 1 सितम्बर 2017 से शहर के प्रत्येक वार्ड में दो पारियों में फोगिंग करने का अभियान छेड़ा था। उस समय ये कहा गया था कि 2 व्हीकल माउंटेड फोगिंग मशीन और 7 पोर्टेबल फोगिंग मशीनों से पूरे साल फोगिंग की जाएगी। रोजाना सुबह 9 से दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक फोगिंग की जाएगी। जिससे की जयपुर को मॉस्किटो फ्री सिटी यानी मच्छर रहित शहर बनाया जा सके। फोगिंग का जिम्मा वार्ड के स्वास्थ्य निरीक्षक और पार्षद को सौंपा गया था। लेकिन निगम का यह दावा अब तक सिर्फ जुबानी जमा खर्च ही साबित हुआ है।
स्मार्ट सिटी बनने जा रही राजधानी जयपुर में ये स्थिति तब है जब नगर निगम ने 1 सितम्बर 2017 से शहर के प्रत्येक वार्ड में दो पारियों में फोगिंग करने का अभियान छेड़ा था। उस समय ये कहा गया था कि 2 व्हीकल माउंटेड फोगिंग मशीन और 7 पोर्टेबल फोगिंग मशीनों से पूरे साल फोगिंग की जाएगी। रोजाना सुबह 9 से दोपहर 12 बजे और शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक फोगिंग की जाएगी। जिससे की जयपुर को मॉस्किटो फ्री सिटी यानी मच्छर रहित शहर बनाया जा सके। फोगिंग का जिम्मा वार्ड के स्वास्थ्य निरीक्षक और पार्षद को सौंपा गया था। लेकिन निगम का यह दावा अब तक सिर्फ जुबानी जमा खर्च ही साबित हुआ है।