स्वाइन फ्लू के खौफ ने खोली हकीकत चिकित्सा विभाग के प्रारंभिक आंकलन में सामने आया है कि जो लोग स्वाइन फ्लू के डर से जांच कराने पहुंचे, उनकी डेंगू की भी जांच की गई तो उनमें स्वाइन फ्लू की बजाय डेंगू निकला। अब विभाग यह पड़ताल करने में जुटा है कि जनवरी और फरवरी में डेंगू का प्रकोप न के बराबर होता है तो इतने मरीजों में यह बीमारी निकली कैसे?
भर्ती कम, ओपीडी ज्यादा
अभी तक सामने आए मरीजों में भर्ती वाले मरीजों की संख्या कम, ओपीडी की ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मरीज पॉजीटिव भले ही आए हों लेकिन इसका भयानक रूप नहीं है।
अभी तक सामने आए मरीजों में भर्ती वाले मरीजों की संख्या कम, ओपीडी की ज्यादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मरीज पॉजीटिव भले ही आए हों लेकिन इसका भयानक रूप नहीं है।
यूं सामने आया नया रूप
स्वाइन फ्लू : पिछले साल लगभग हर महीने स्वाइन फ्लू के मरीजों की पुष्टि हुई, जबकि यह बीमारी अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक सर्दी में नहीं मिलती।
डेंगू : स्वाइन फ्लू जैसी ही स्थिति अब डेंगू की सामने आई है। जनवरी और फरवरी को डेंगू के लिहाज से जीरो अंक वाला माना जाता है लेकिन इस बार यह धारणा भी टूट गई। इस बार 5-10 नहीं बल्कि जयपुर जिले में ही इसके मरीजों की संख्या 350 के आसपास पहुंच चुकी है।
जांच का असर या मौसम का
चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक जनवरी और फरवरी में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 10 भी बमुश्किल पार कर पाता है। इसलिए कि इन महीनों में इस बीमारी का खौफ नहीं होता। लेकिन इस बार लोग अस्पताल पहुंचे और जांच हुई तो पता चला कि यह बीमारी मौसमी बंधन पार कर रही है।
चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक जनवरी और फरवरी में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 10 भी बमुश्किल पार कर पाता है। इसलिए कि इन महीनों में इस बीमारी का खौफ नहीं होता। लेकिन इस बार लोग अस्पताल पहुंचे और जांच हुई तो पता चला कि यह बीमारी मौसमी बंधन पार कर रही है।
नहीं है गंभीर स्थिति डॉ. रमन शर्मा, मेडिसिन रोग विशेषज्ञ, सवाई मानसिंह अस्पताल ने बताया की इस बार रात और दिन का तापमान कुछ अधिक रहा है। लोगों में जांच कराने के प्रति जागरूकता बढऩे के साथ यह उसका भी असर है। वैसे जो मरीज आ रहे हैं, उनमें गंभीर स्थिति वाले नहीं हैं। ओपीडी केस अधिक हैं, भर्ती वाले कम।
डॉ. नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जयपुर प्रथम ने बताया की यह स्वाइन फ्लू के प्रति जागरुकता का असर है। जो मामले आए, उनमें गंभीरता वाले कम हैं। आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या कम ही रहने का अनुमान है।
डॉ. नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जयपुर प्रथम
डॉ. नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जयपुर प्रथम ने बताया की यह स्वाइन फ्लू के प्रति जागरुकता का असर है। जो मामले आए, उनमें गंभीरता वाले कम हैं। आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या कम ही रहने का अनुमान है।
डॉ. नरोत्तम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जयपुर प्रथम
बड़े सवाल
-लोगों में स्वाइन फ्लू का डर नहीं होता, वे जांच कराने नहीं पहुंचते तो क्या चिकित्सा विभाग को डेंगू का पता ही नहीं चलता? -इस बार अभी तक मिले मरीजों में डेंगू का मच्छर अधिक खतरनाक रूप में नजर नहीं आया है लेकिन आने वाले महीनों में कितना असर रहेगा, इसे लेकर विभाग के पास कोई ठोस योजना नहीं है।
-लोगों में स्वाइन फ्लू का डर नहीं होता, वे जांच कराने नहीं पहुंचते तो क्या चिकित्सा विभाग को डेंगू का पता ही नहीं चलता? -इस बार अभी तक मिले मरीजों में डेंगू का मच्छर अधिक खतरनाक रूप में नजर नहीं आया है लेकिन आने वाले महीनों में कितना असर रहेगा, इसे लेकर विभाग के पास कोई ठोस योजना नहीं है।
-क्या विभाग अब डेंगू पर नियंत्रण के लिए भी पूरे साल की योजना बनाएगा?