डेंगू बारिश के बाद, खास तौर पर जुलाई से अक्टूबर तक फैलता है और यह बच्चों पर असर तेजी से दिखाता है। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़-दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं, जो डेंगू के कारण एक लाख से कम हो सकते हैं। मरीज के खून में डेंगू का वायरस अधिक मात्रा में होता है। मरीज को काटने के बाद मच्छर दूसरे व्यक्ति को काटे तो उसे भी डेंगू हो सकता है।
डेंगू रोग तीन तरह का होता है साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार ठीक हो जाता है लेकिन दूसरे-तीसरे नंबर का डेंगू का तत्काल इलाज शुरू न हो तो यह जानलेवा हो सकता है। शुरू न हो तो यह जानलेवा हो सकता है।
यह चीते जैसी धारियों वाले एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह दिन में, खासकर सुबह काटता है। ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ पाता। मच्छर काटने के 3 से 10 दिन में डेंगू के लक्षण दिखते हैं।
सर्दी लगकर तेज बुखार आना, सिर-मांशपेशियों व जोड़ों में दर्द, आंखों का पिछला हिस्सा दुखना, कमजोरी आना। भूख नहीं लगना, जी घबराना, गले में हल्का दर्द होना, शरीर खास तौर पर चेहरे-सीने व गर्दन पर लाल-गुलाबी रैशेज। नाक-मसूड़ों से खून आना, शौच या उल्टी से खून आना, त्वचा पर गहरे नीले-काले चकत्ते पडऩा, बेचैनी होना। शॉक की स्थिति भी हो सकती है।
मच्छरों को पनपने न दें, घुटनों से नीचे पैरों को ढककर रखें। ठंडा पानी न पीएं। मैदा और बासी खाना न खाएं। हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग ज्यादा लें। हल्का-पाच्य खाना खाएं। पूरी नींद लें। पानी खूब और उबालकर पीएं। मिर्च-मसाले और तली चीजें न खाएं। छाछ, नारियल पानी व नींबू पानी खूब लें।
तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द या शरीर पर रैशेज हों तो जांच कराएं। डेंगू की जांच ज्यादातर अस्पतालों में होती हैं। जांच में वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट और अलग-अलग काउंट करा लें। इसमें प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है।