जलदाय विभाग के इस मसौदे पर जयपुर विकास प्राधिकरण के सचिव, क्रेडाई व टोडार प्रतिनिधियों ने भी रजामंदी जता दी है। विभाग जल्दी ही इसका लिखित प्रस्ताव जेडीए व सरकार को भेजेगा। बहुमंजिला इमारतों में पेयजल उपलब्धता के लिए शुक्रवार को झालाना स्थित डब्ल्यूएसएसओ भवन में आयोजित संयुक्त बैठक में इस पर सहमति बनी। हालांकि सरकार स्तर पर अंतिम फैसला होगा। शुरुआत जयपुर से हो सकती है।
यों हुआ तय
– सुझाव : जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव संदीप वर्मा ने बहुमंजिला इमारतों में पेयजल पहुंचाने के साथ उसकी उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिए कहा। इसके लिए बाथरूम-शौचालय में कम से कम पानी उपयोग का करने व उस पानी को दोबारा उपयोगी बनाने की जरूरत जताई।
– सहमति : जेडीए, क्रेडाई राजस्थान व इंडिया के प्रतिनिधि, टाउनशपि डवलपर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (टोडार) के प्रतिनिधियों ने इस पर सहमति जताते हुए लागू करने के लिए कह दिया।
– दिक्कत : नल, शॉवर, फ्लश टंकी निर्माण का काम अलग-अलग कंपनियां कर रही हैं। इसका साइज भी 7 से 12 लीटर तक है। ऐसे में इसे लागू किस तरह किया जाएगा।
अफसरों के तर्क
– तय है स्टेंडर्ड : जलदाय विभाग के डब्ल्यूएसएसओ निदेशक अरुण श्रीवास्तव का कहना है कि इंडियन स्टेंडर्ड में इनका साइज तय है, केवल इसे पुख्ता तरीके से लागू करना है। मौजूदा स्थितियों में फ्लश टंकी 7-8 लीटर की होगी।
– नई स्वीकृति पर होगा लागू : फिलहाल यह व्यवस्था नए भवन स्वीकृति से लागू होगी। इसमें शुरुआत बहुमंजिला इमारतों, ग्रुप हाउसिंग, टाउनशिप, मॉल्स से होगी। व्यक्तिगत रूप से इसकी बंदिश नहीं होगी, स्वेच्छा से इसे आगे बढ़ा सकेंगे।
– तय है स्टेंडर्ड : जलदाय विभाग के डब्ल्यूएसएसओ निदेशक अरुण श्रीवास्तव का कहना है कि इंडियन स्टेंडर्ड में इनका साइज तय है, केवल इसे पुख्ता तरीके से लागू करना है। मौजूदा स्थितियों में फ्लश टंकी 7-8 लीटर की होगी।
– नई स्वीकृति पर होगा लागू : फिलहाल यह व्यवस्था नए भवन स्वीकृति से लागू होगी। इसमें शुरुआत बहुमंजिला इमारतों, ग्रुप हाउसिंग, टाउनशिप, मॉल्स से होगी। व्यक्तिगत रूप से इसकी बंदिश नहीं होगी, स्वेच्छा से इसे आगे बढ़ा सकेंगे।
यह भी चाह रहे
– एयर फ्लश सिस्टम युक्त नल लगें। इसमें पानी के साथ हवा भी होती है और कम पानी में काम होता है।
– शौचालय में टू-वे फ्लश सिस्टम का उपयोग। शौच जाने के लिए अलग बटन और पेशाब के दौरान अलग। इससे जरूरत के अनुरूप पानी खर्च होगा।
इमारतों में पानी उपलब्ध कराने के साथ उसका सदुपयोग करना भी हमारी जिम्मेदारी है। बाथरूम, शौचालय में निर्धारित स्टेंडर्ड के संसाधन को बिल्डिंग बायलॉज का हिस्सा बनाना जरूरी है। इस पर सभी सहमत हैं और लागू करने में दिक्कत भी नहीं है।
– संदीप वर्मा, प्रमुख शासन सचिव, जलदाय विभाग
– संदीप वर्मा, प्रमुख शासन सचिव, जलदाय विभाग
यह अच्छा आइडिया है, इसे बिल्डिंग बायलॉज में शामिल किया जा सकता है। स्वीकृति देते वक्त केवल स्टेंडर्ड साइज का ही उल्लेख करना है। सरकार स्तर पर निर्णय होगा।
– अर्चना सिंह, सचिव, जेडीए
वैसे तो ज्यादातर बहुमंजिला इमारतों में नए स्टेंडर्ड साइज व अत्याधुनिक संसाधन ही लगा रहे हैं। फिर भी यह सुझाव अच्छा है और हम सहमत भी हैं। बायलॉज में शामिल कर सकते हैं।
– गोपाल गुप्ता, चेयरमेन, क्रेडाई