खाद्य तेल के आयात पर निर्भरता चिंता का विषय
जयपुरPublished: May 29, 2023 12:20:21 am
जीएम सरसों की जरूरत
खाद्य तेल के आयात पर निर्भरता चिंता का विषय
नई दिल्ली. बढ़ती घरेलू मांग को पूरा करने के लिए खाद्य तेल के आयात पर भारत की निर्भरता सालों से चिंता का विषय बनी हुई है। उत्पादन और खपत के बीच का अंतर कम करने के लिए सरकार किसानों को तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है। इन प्रयासों के कुछ परिणाम भी निकले हैं, और पिछले सालों में तिलहन के उत्पादन में सुधार हुआ है। यह कहना है फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया की निदेशक डॉ. रत्ना कुमरिया का। भारत में 2022-23 में 14.37 मिलियन टन वनस्पति तेल का आयात होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में 14.07 मिलियन टन वनस्पति तेल का आयात किया गया था। 2016-17 में आयातित 15.32 मिलियन टन के मुकाबले यह कुछ बेहतर है, लेकिन फिर भी तेल के आयात में काफी ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च हो जाती है। सोयाबीन और सरसों प्रमुख फसलें हैं, जो कुल तिलहन उत्पादन की क्रमश: 35 प्रतिशत और 32 प्रतिशत हैं। सरसों को भारत में पारंपरिक रूप से और कुछ विशेष व्यंजनों को पकाने के एकमात्र तेल के रूप में विशेष पद मिला हुआ है। सरसों की विभिन्न किस्में और हाईब्रिड उपलब्ध होने के बावजूद इसका उत्पादन वैश्विक औसत के मुकाबले बहुत कम है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने जीएम सरसों की टेक्नॉलॉजी में बारनेज-बारस्टार नामक दो जीन प्रणाली का उपयोग कर इस बाधा को पार कर लिया है। इस टेक्नॉलॉजी का उपयोग विश्व में अन्य फसलों में संकर बीजों के उत्पादन के लिए किया जा रहा है, और इन फसलों का सेवन 25 सालों से ज्यादा समय से किया जा रहा है।