जयपुर

हताश होने और डरने की बजाय इस समय को खुशी और हिम्मत से बिताएं

कोरोना वायरस के प्रसार से पसरी चिंताओं के बीच यह समय भारी अनिश्चितता और तनाव का बन गया है। लगातार घर रहने, स्वास्थ्य, भविष्य आदि को लेकर चिंता से नींद और भोजन के खाने के पैटर्न में बदलाव हो रहा है। हर कहीं एक ‘अगर’ नाम का ‘मगर’ हावी है। ‘अगर’ ऐसा हो गया तो, ‘अगर’ वैसा हो गया तो…यह सब एक दुष्चक्र न बन जाएं, ऐसे में मन में घर बनाती चिंताओं को बाहर निकाल फेंकने और इनसे कुछ राहत पाने के लिए इन जरूरी बातों पर जरूर अमल करें।

जयपुरApr 25, 2020 / 01:34 pm

Amit Purohit

हताश होने और डरने की बजाय इस समय को खुशी और हिम्मत से बिताएं

कलम उठाएं
यह चिंताओं को नजरअंदाज करना नहीं है, बल्कि उन पर मंथन करते हुए, देखना है कि इनमें से कितनी चिंताएं व्यर्थ हैं और बाकी का क्या किया जा सकता है। डिजिटल डिवाइस का उपयोग करने की तुलना में अपने दिमाग को ‘खाली’ करने के लिए कागज-कलम उठाएं।
चिंताओं को लिखें
अपनी चिंताओं को लिपिबद्ध करें। अपनी सूची देखें और तय करें कि आपका किन चिंताओं पर नियंत्रण है और कितनी चिंताएं कपोल-कल्पना मात्र है। फिर समस्या को हल करें और उनके लिए एक योजना बनाएं। जो आपके बस में हो, वह करें, बाकी समय पर छोड़ दें।
ऐसे लें अपडेट्स
तय करें कि प्रत्येक दिन आप अपडेट के लिए खुद को कितना समय देने जा रहे हैं। यह भी सुनिश्चित करें कि अपडेट लेने वाला समय सीमित हो। केवल विश्वसनीय संसाधनों से ही अपडेट लें और सोशल मीडिया की फेक न्यूज की बजाय विश्वस्त स्रोतों तक खुद को सीमित करें।
गाइडलाइंस माने
गाइडलाइंस के अनुसार रहें। हालांकि, दिशा-निर्देश हमेशा बदलते रहते हैं, इनके बारे में लगातार जानते रहना जरूरी है ताकि आप अपनी और अपने आसपास के लोगों की सुरक्षा कर सकेें। यह कठोरता से सुनिश्चित करें कि आप इस जानकारी के लिए केवल भरोसेमद स्रोतों से ही अध्ययन कर रहे हैं।
मेडिटेशन करें
किसी न किसी काम में मन लगा कर रखें। घर में रहने के बावजूद खाली न रहें। प्रजेंस ऑफ माइंड बढ़ाने या वर्तमान में रहने के लिए मेडिटेशन का सहारा लें। इससे आप आशंकाओं के उन काल्पनिक पुलों को पार करने से बच सकेंगे, जो संभवत: आएंगे ही नहीं।
अच्छी नींद लें
क्या हुआ अगर?’ जैसी चिंताएं सबसे आम हैं। इनमें से कई पूरी तरह काल्पनिक होती हैं। इसलिए ‘अगर—मगर’ हटा कर इन कल्पनाओं के साथ तथ्यों की तरह व्यवहार करने से बचें। नींद ठीक से नहीं आती है तो भी ज्यादा सोने से बचें। नींद की गुणवत्ता कहीं अधिक मायने रखती हैं, समय नहीं।
सकारात्मक रहें
याद रखें कि ज्यादा नकारात्मक सोचविचार करने से अवसाद बढ़ेगा ही, घटेगा नहीं और यह अंतत: आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालेगा, आपकी इम्युनिटी कमजोर होगी। एक सकारात्मक सोच ही आपके शरीर और मन को मजबूत बना कर बीमारी का खतरा टाल सकती है।
खेलेें-बतियाएं
आप चाहें तो लॉकडाउन का यह समय परिवार के साथ बैठकर भविष्य के सुखद और सुनहरे सपने देखने का भी हो सकता है। बच्चों के साथ खेलें, संगीत सुने, अपनी हॉबी को फिर से उभारें, ऐसे तमाम कार्य करें जो समय की कमी के चलते आप नहीं कर पा रहे थे। नई भाषा सीखें, गीत गुनगुनाएं!

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