पायलट यही नहीं रुके, उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं इस निर्णय से सहमत नहीं हूं। इससे बैकडोर एंट्री को बढ़ावा मिलेगा। पायलट ने कहा कि ये निर्णय मंत्रालय ने लिया है। संगठन, कैबिनेट और विधायकों से इस संबंध में कोई चर्चा नहीं की गई। यह निर्णय व्यावहारिक नहीं है। जो व्यक्ति पार्षद का चुनाव नहीं जीत सकता, उसे निकाय प्रमुख का चुनाव लड़ाना सही नहीं है। कांग्रेस हमेशा लोकतंत्र को मजबूत करने की बात करती आई है, लेकिन मुझे नहीं लगता इस निर्णय से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी।
मंत्रालय के स्तर पर निर्णय सही नहीं चुनाव हो तो इसका एक मैसेज हो कि चुनाव हो रहे हैं, अपने प्रतिनिधि चुन रहे हैं। ना ही विधायक दल में और ना ही सदन में, ना ही केबिनेट में चर्चा हुई है, मंत्री यदि नगरपालिका एक्ट के तहत यह निर्णय लेना चाहते हैं तो यह व्यावहारिक नहीं है, राजनीतिक दृष्टिकोण से सही नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि हिन्दुस्तान के किसी भी राज्य में ऐसा नहीं है और इस निर्णय में बदलाव करने की जरूरत है। इसमें बैकडोर एन्टी होगी। इसमें लोकतंत्र को मजबूत करने वाली बात नहीं होगी। कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि सीधा चुनाव हो, जनता से सीधा जुड़ाव हो