scriptकंक्रीट का यह आंगन कहीं छीन न ले हमसे हमारी द्रव्यवती नदी | Despite the claims of experts, the JDA's arbitrary | Patrika News

कंक्रीट का यह आंगन कहीं छीन न ले हमसे हमारी द्रव्यवती नदी

locationजयपुरPublished: Mar 13, 2018 11:13:08 am

Submitted by:

Priyanka Yadav

विशेषज्ञों के दावे के बावजूद जेडीए की मनमानी

rajasthan news
जयपुर . कंक्रीट के जंगल में गुम शहर की कुदरती खूबसूरती में एक और काला धब्बा लगाने की तैयारी चल रही है। द्रव्यवती नदी के तल को पक्का करने से भूजल प्रभावित होने के विशेषज्ञों के दावों के बावजूद जेडीए की मनमानी जारी है। द्रव्यवती नदी (अमानीशाह नाला) के तल को पक्का करने का काम लगातार चल रहा है। जबकि, 47 किलोमीटर के इसी प्रोजेक्ट में करीब 5 किलोमीटर हिस्से के तल को कच्चा ही छोड़ा जा रहा है। वीकेआई के पीछे नदी के उद्गम स्थल ग्राम जैसल्या से मजार डेम के पहले तक पांच किलोमीटर की दूरी में वन विभाग ने किसी तरह का पक्का निर्माण करने से मना कर दिया। इसके पीछे वन क्षेत्र प्रभावित होने का तर्क दिया गया। इसमें तल भी शामिल है।
यानि, पक्के निर्माण से प्राकृतिक स्थिति प्रभावित होने डर। लेकिन, इसके आगे नगर निगम व जेडीए का परिधि क्षेत्र शुरू हुआ, वहां इसके मायने बदल गए। जबकि, विषय विशेषज्ञों का कहना है कि नदी का तल पक्का होता तो प्राकृतिक स्थिति प्रभावित होना तय है। भले ही फिर बीच—बीच में कुछ हिस्सा कच्चा रखने का दावा किया जा रहा हो। इससे भूजल रिचार्ज की दर घटेगी।
5 किलोमीटर में केवल 17 गेबियन स्ट्रक्चर

करीब 5 किलोमीटर लम्बे हिस्से में केवल 17 गेबियन स्ट्रक्चर बनाए गए हैं। इसके अलावा कुछ भी निर्माण नहीं है। गेबियन स्ट्रक्चर भी बिल्कुल धरातल के पास हैं, जिससे कि पानी तेजी से नहीं बह सके। इसमें 4—5 फीट चौड़ाई में पत्थरों से स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है और इसके ऊ पर लोहे की जाली लगा दी। हालांकि, जेडीए अधिकारियों का तर्क है कि यहां पानी का बहाव बहुत ज्यादा होगा ही नहीं, इसलिए केवल गेबियन स्ट्रक्चर बनाए गए हैं। यदि वन विभाग अनुमति देता तो भी पक्का निर्माण नहीं करते।
चैक डेम का बेमानी तर्क

जेडीए अधिकारियों का तर्क है कि जगह—जगह चैक डेम बनाए जाएंगे। इनकी चौड़ाई 12 से 102 मीटर तक होगी। 102 मी. चौड़ाई वहीं लेंगे जहां नदी की 210 फीट चौड़ाई के अलावा सरकारी जमीन है और पानी का बहाव है। गहराई 1 मीटर रहेगी, जिसके लिए दोनों तरफ कंक्रीट की दीवार होगी, ताकि पानी जमीन में जा सके। इसके लिए कुछ हिस्सा कच्चा छोड़ा जाएगा। इन्हीं चैक डेम में पानी भरने और फिर ओवरफ्लो होकर नदी में बहने का तर्क दिया जा रहा है। जबकि, हकीकत यह है कि ठहराव वाला पानी ज्यादा नहीं होगा, बल्कि उसे ओवरफ्लो करते हुए गुजरेगा।
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