ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि देवउठनी ग्यारस के दिन जो बिल्व पत्र से भगवान विष्णु का पूजन करते हैं, उन्हें अंत में मुक्ति मिलती है। तुलसीजी अर्पित करने पर दस हजार जन्मों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। दूर्वादल चढाने पर सौ गुना ज्यादा फल मिलते हैं। शमीपत्र से पूजन करनेवाले यमराज के भयानक मार्ग को सुगमता से पार कर जाते हैं।
इस दिन विष्णुजी को अलग—अलग फूल अर्पित करने का अलग—अलग फल बताया गया है। जो भक्त इस दिन भगवान का अगस्त्य पुष्प से पूजन करते हैं, उनके सामने इन्द्र भी नतमस्तक होता है। सफेद और लाल कनेर के फूलों से पूजन करनेवालों पर भगवान अति प्रसन्न होते हैं। गुलाब के पुष्प से पूजन करने पर मुक्ति प्राप्त होती है।
बकुल और अशोक के पुष्पों से पूजन करनेवाले शोक से रहित रहते हैं। पीले और रक्त वर्ण कमल के सुगंधित पुष्पों से भगवान का पूजन करनेवालों को श्वेत दीप में स्थान मिलता है। चंपक पुष्प से विष्णुजी की पूजा करनेवाले जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। स्वर्ण से बना केतकी पुष्प भगवान को अर्पित करने वालों के करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित के अनुसार विष्णुजी को कदंब के फूल सबसे प्रिय हैं. इसलिए एकादशी पर कदंब पुष्प से उनकी पूजा करना सबसे उत्तम है। भगवान विष्णु कदंब पुष्प को देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं। भगवान का कदंब पुष्प से पूजन करनेवालों को यमराज के कष्टों से सामना नहीं होता। विष्णुजी उनकी सभी कामनाओं को पूरा करते हैं।