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सभी विभागों में सामंजस्य बने, तब हो शहर का विकास

locationजयपुरPublished: Feb 25, 2020 12:13:27 am

Submitted by:

manoj sharma

नगर निगम की स्थापना का मकसद अब तक नहीं हुआ पूरा, समस्याएं पहले की तरह की बरकरार

Development of the city should be done in all departments

Development of the city should be done in all departments

जयपुर. नगर निगम चुनाव की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। अगले माह में वार्डों की लॉटरी निकलने की संभावना है। अप्रेल में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। पहली बार है जब राजधानी में दो नगर निगम के लिए शहरवासी वोट करेंगे। क्या हैं की समस्याएं। जनता कैसा चाहती है जनप्रतिनिधि। विभागों में आपसी सामंजस्य न होने की वजह से जनता को परेशान होना पड़ता है। इन मुद्दों को लेकर राजस्थान पत्रिका ने मेरा वार्ड—मेरी बात अभियान के तहत परिचर्चा कराई। विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों ने अपनी बात रखी। सभी का कहना था कि नगर निगम की स्थापना से पहले जो समस्याएं थीं, वे आज भी बरकरार हैं। ऐसे में निगम बनाने का शहरवासियों को कोई फायदा नहीं हुआ।
परिचर्चा में जितेंद्र सिंह राजावत, दिलीप जौहरी, कमलेश सोनी,तुलसी संगतानी, मोनी रंगवानी ने का कहना था कि सभी विभागों में सांमजस्य के विकास संभव नहीं है। एक की सड़क को एक साल में तीन—तीन बार खोद दिया जाता है।

नगर निगम अब तक अतिक्रमण को बंद नहीं कर पाया है। आवारा पशुओं से परकोटे के लोग परेशान हैं। कचरा और गंदगी उठाने का तरीका फेल है। विभागों में सामंजस्य की नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार मामला है।
—अमित शर्मा लियो,आरटीआई एक्टिविस्ट

विश्व विरासत में तो शामिल हो गए, लेकिन काम करने की तरीका बदलना होगा। गुलाबी रंग ही कई तरह के मिल जाएंगे। अधिकारी बंद कमरे में फैसले लेते है। इसमें लोगों की सहभागिता बढ़ानी होगी।
—ललित सिंह, व्यापारी
जब कोइ निर्माण हो तो अन्य संबंधित विभागों को भी जानकारी दी जाए। जनता के सबसेकरीब पार्षद ही होता है। छोटी—छोटी समस्याओं को सुनता है। स्थानीय विकास व्यवस्थित होना चाहिए। तभी शहर का भला होगा।
—अनिल आनंद, ट्रांसपोर्टर

पार्किंग के ठेके के नाम पर ठेकेदार लूट मचा रहे है। अतिक्रमण हो रहा है। परकोटे का व्यापार खत्म हो रहा है। इसी वजह से बाहर के बाजार विकसित हो रहे हैं। व्यापारी को परेशान किया जा रहा है।
—सुरेश सैनी, व्यापारी

हमें विरासत को सहेजने की जरूरत हैं। 25 साल पहले जो समस्याएं थीं, आज भी वही है। स्वच्छ छवि का निकाय में प्रतिनिधि बने। जो व्यवस्थित तरीके से विकास कर सके। विश्व विरासत को सहेजने के लिए एक स्थानीय और जानकार लोगों की कमेटी बनानी चाहिए थी।
—मनीष सोनी, समाजसेवी

सड़कों पर एक के बाद एक परत चढ़ाई जा रही है। परकोटे के दरवाजे छोटे हो गए। यादगार में पहले जाने के लिए तीन सीढ़ियां चढ़ते थे, अब उतरकर जाना पड़ता है। निगम में कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनता नहीं है।
—एम सादिक खान
परकोटा की वजह से जयपुर जिंदा है। यह विरासत में मिली है। नो कंस्ट्रक्शन जोन है तो निर्माण क्यों हो रहे हैं। परकोटे में निर्माण आसानी से रोका जा सकता है। हैरिटेज बहुत पहले था अब तो हम उसे खत्म कर रहे है। किसी की महत्वपूर्ण इमारत है तो सरकार को उसे प्रोत्साहित करना चाहिए और प्रमाण पत्र देना चाहिए। सरकार अभी कोस्मेटिक ट्रीटमेंट कर रही है।
—चंद्र शेखर पाराशर, सेवानिवृत्त, मुख्य नगर नियोजक

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