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देवशयनी एकादशी कल, मांगलिक कार्यों पर लगेगा 5 माह का विराम

locationजयपुरPublished: Jun 30, 2020 04:05:33 pm

Submitted by:

Girraj Sharma

आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर बुधवार को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) होगी। भगवान विष्णु पांच माह के लिए क्षीर सागर में विश्राम करने जाएंगे। यानी पांच माह के लिए देव सोएंगे। इसी के साथ पांच माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम (five months) लग जाएगा। वहीं चातुर्मास भी शुरू होंगे। चातुर्मास 26 नवम्बर को कार्तिक शुक्ल एकादशी पर समाप्त होगा।

देवशयनी एकादशी कल, मांगलिक कार्यों पर लगेगा 5 माह का विराम

देवशयनी एकादशी कल, मांगलिक कार्यों पर लगेगा 5 माह का विराम

देवशयनी एकादशी कल, मांगलिक कार्यों पर लगेगा 5 माह का विराम
— इस बार आश्विन अधिकमास, पांच माह के होंगे चातुर्मास
— गोविंददेवजी मंदिर में देवशयनी एकादशी का होगा विशेष पूजन

जयपुर। आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर बुधवार को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) होगी। भगवान विष्णु पांच माह के लिए क्षीर सागर में विश्राम करने जाएंगे। यानी पांच माह के लिए देव सोएंगे। इसी के साथ पांच माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। वहीं चातुर्मास भी शुरू होंगे। चातुर्मास 26 नवम्बर को कार्तिक शुक्ल एकादशी पर समाप्त होगा। ऐसे में इस बार चातुर्मास करीब पांच माह रहेगा। इन पांच महीनों में केवल धार्मिक कार्यक्रम ही होंगे। इस बार आश्विन अधिक मास रहेगा।
आश्विन अधिकमास आने से इस बार श्राद्ध पक्ष और शारदीय नवरात्र के बीच एक माह का अंतर रहेगा। श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से 17 सितंबर तक रहेगा, इसके बाद 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक आश्विन अधिकमास रहेगा, जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इसके ठीक बाद 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि इस बार आश्विन अधिक मास आएगा। श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से 17 सितंबर तक रहेगा। इसके बाद 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक आश्विन का अधिक मास रहेगा। 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होंगेे। ऐसे में इस बार श्राद्ध पक्ष और नवरात्र में एक माह का अंतर रहेगा।
गोविंददेवजी देंगे नटवर पोशाक में दर्शन

शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में शाम 5.45 से देवशयनी एकादशी पूजन होगा। गोविंददेवजी लाल सूूती रंग की नटवर पोशाक में दर्शन देंगे। मान्यता है कि ठाकुरजी ने जब सबसे पहले गाय चराने वन में निकले थे तब यही पोशाक धारण कर रखी थी। लाल रंग की सूती पोशाक के साथ ठाकुरजी आभूषण में गाय के सींग की आकृति का विशेष आभूषण सींगा और गायों को हांकने के लिए छड़ी धारण किए हुए होंगे। सोने की बांसुरी हमेशा की तरह अधरों पर सजी होगी। इस झांकी का आॅनलाइन दर्शन कर सकेंगे। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शाम 5.45 बजे सालिगरामजी को रथ पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान करवाया जाएगा। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी यहां सालिगरामजी का पंचामृत अभिषेक, पूजन और आरती करेंगे। इसके बाद तुलसी महारानी का पूजन किया जाएगा। तुलसी महारानी और सालिगरामजी की चार परिक्रमा करने के बाद सालिगरामजी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा करवाते हुए पुन: गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा। इसके बाद संध्या आरती के दर्शन होंगे।
यहां भी सजेगी विशेष झांकिया
पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार की विशेष झांकी के दर्शन होंगे। ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा। विशेष प्रकार के भोग अर्पित कर आरती उतारी जाएगी। चौड़ा रास्ता के मंदिरश्री राधा दामोदरजी, पुरानी बस्ती के गोपीनाथजी मंदिर, रामगंज के लाड़लीजी मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों में भी देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन होंगे।
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