scriptसोए देव, पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक | DEVSHAYANI EKADASHI SPECIAL WORSHIP GOVINDDEVJI TEMPLE | Patrika News

सोए देव, पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक

locationजयपुरPublished: Jul 01, 2020 07:57:01 pm

Submitted by:

Girraj Sharma

आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर बुधवार को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) मनाई गई। इसके साथ पांच माह के लिए भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले गए। अब पांच माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। वहीं चातुर्मास भी शुरू हो गए है। वहीं शहर में मंदिरों में देवशयनी एकादशी पर शाम को विशेष आयोजन (Special worship) हुए। गोविंददेवजी मंदिर (Govinddevji temple) सहित अन्य मंदिरों में ठाकुरजी की विशेष झांकी के दर्शन कराए गए।

सोए देव, पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक

सोए देव, पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक

सोए देव, पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक
— तुलसा मंच तक आए ठाकुरजी, लगाई परिक्रमा
— देवशयनी एकादशी : गोविंददेवजी मंदिर में हुआ विशेष पूजन

जयपुर। आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर बुधवार को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) मनाई गई। इसके साथ पांच माह के लिए भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले गए। अब पांच माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। वहीं चातुर्मास भी शुरू हो गए है। अब 26 नवम्बर को कार्तिक शुक्ल एकादशी पर चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही मांगलिक कार्य शुरू हो पाएंगे। वहीं शहर में मंदिरों में देवशयनी एकादशी पर शाम को विशेष आयोजन (Special worship) हुए। गोविंददेवजी मंदिर (Govinddevji temple) सहित अन्य मंदिरों में ठाकुरजी की विशेष झांकी के दर्शन कराए गए।
शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में शाम को देवशयनी एकादशी पूजन हुआ। गोविंददेवजी को लाल सूूती रंग की नटवर वेश की पोशाक धारण करवाई गई। ठाकुरजी को विशेष आभूषण सींगा और गायों को हांकने वाली छड़ी को आभूषण के रूप में धारण करवाई गई। अधरों पर सोने की बांसुरी सजी नजर आई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सालिगरामजी को रथ पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर लाया गया। महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने सालिगरामजी का पंचामृत अभिषेक, पूजन और आरती की। इसके बाद तुलसी महारानी का पूजन किया गया। तुलसी महारानी और सालिगरामजी की चार परिक्रमा करने के बाद सालिगरामजी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा करवाते हुए पुन: गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया। इसके बाद संध्या आरती के दर्शन हुए। कोविड—19 के चलते दर्शनार्थियों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होने से लोगों ने आॅनलाइन ही ठाकुरजी के दर्शन किए।
पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार की विशेष झांकी के दर्शन हुए। ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया गया। विशेष प्रकार के भोग अर्पित कर आरती उतारी गई। इस मौके पर देवशयन एकादशी के पद गायन किए गए। चौड़ा रास्ता के मंदिरश्री राधा दामोदरजी, पुरानी बस्ती के गोपीनाथजी मंदिर, रामगंज के लाड़लीजी मंदिर, चांदनी चौक स्थित मंदिरश्री आनंदकष्ण बिहारीजी सहित कई अन्य मंदिरों में भी देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन हुए। गीता गायत्री मंदिर में देवशयनी एकादशी मनाई गई। श्याम बाबा और गीता—गायत्री माता का विशेष श्रंगार किया गया। पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में श्याम बाबा का हवन हुआ। देवशयन की परंपरा निभाई गई, मंगलगीत गाए गए।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो