शहर के आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में शाम को देवशयनी एकादशी पूजन हुआ। गोविंददेवजी को लाल सूूती रंग की नटवर वेश की पोशाक धारण करवाई गई। ठाकुरजी को विशेष आभूषण सींगा और गायों को हांकने वाली छड़ी को आभूषण के रूप में धारण करवाई गई। अधरों पर सोने की बांसुरी सजी नजर आई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सालिगरामजी को रथ पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने पर स्थित तुलसी मंच पर लाया गया। महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने सालिगरामजी का पंचामृत अभिषेक, पूजन और आरती की। इसके बाद तुलसी महारानी का पूजन किया गया। तुलसी महारानी और सालिगरामजी की चार परिक्रमा करने के बाद सालिगरामजी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा करवाते हुए पुन: गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया। इसके बाद संध्या आरती के दर्शन हुए। कोविड—19 के चलते दर्शनार्थियों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होने से लोगों ने आॅनलाइन ही ठाकुरजी के दर्शन किए।
पानों का दरीबा स्थित सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज के सान्निध्य में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार की विशेष झांकी के दर्शन हुए। ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया गया। विशेष प्रकार के भोग अर्पित कर आरती उतारी गई। इस मौके पर देवशयन एकादशी के पद गायन किए गए। चौड़ा रास्ता के मंदिरश्री राधा दामोदरजी, पुरानी बस्ती के गोपीनाथजी मंदिर, रामगंज के लाड़लीजी मंदिर, चांदनी चौक स्थित मंदिरश्री आनंदकष्ण बिहारीजी सहित कई अन्य मंदिरों में भी देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन हुए। गीता गायत्री मंदिर में देवशयनी एकादशी मनाई गई। श्याम बाबा और गीता—गायत्री माता का विशेष श्रंगार किया गया। पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में श्याम बाबा का हवन हुआ। देवशयन की परंपरा निभाई गई, मंगलगीत गाए गए।