इसे धारीवाल कमेटी ने जन प्रतिनिधियों से चर्चा की है और उनसे फीडबैक लिया है। धारीवाल पिछले डेढ़ सप्ताह से इसे लेकर जन प्रतिनिधियों से ग्राउंड रिपोर्ट ले रहे हैं कि अगर सरकार निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे कराती है तो इसका कांग्रेस पार्टी और सरकार को कितना फायदा मिलेगा या कितना नुकसान होगा।
सूत्रों की माने तो यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल जहां अपने स्तर पर ग्राउंड रिपोर्ट ले रहे हैं तो वहीं इसके लिए सर्वे टीमों से भी ग्राउंड रिपोर्ट ली जा रही है। बताया जाता है कि धारीवाल कमेटी की रिपोर्ट और सर्वे रिपोर्ट के मिलान के बाद ही फाइनल रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी।
चर्चा है कि ग्राउंड रिपोर्ट का काम अंतिम चरणों में है, अधिकांश स्थानों से रिपोर्ट भी धारीवाल कमेटी को मिल चुकी है। और 10 अक्टूबर को रिपोर्ट सरकार को सौंपने की बात कही जा रही है। हालांकि जन प्रतिनिधियों की रिपोर्ट में क्या लिखा है ये फिलहाल सामने नहीं आया है।
अब देखना ये है कि 10 अक्टूबर को सरकार को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट में कमेटी निकाय प्रमुखों के चुनाव को लेकर क्या रिपोर्ट सौंपती है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने, और विपक्ष के राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों के बाद प्रदेश में बदले राजनीतिक हालातों के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर ही निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे नहीं कराने की मांग उठी थी। जिसके बाद निकाय प्रमुखों के चुनाव सीधे कराने या नहीं कराने का फैसला लेने के लिए सरकार ने धारीवाल कमेटी गठित की थी।
आपको ये भी बता दें कि महापौर और सभापतियों के सीधे चुनाव कराए जाने का वादा कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में किया था। सत्ता प्राप्ति के बाद सरकार ने विधानसभा में एक्ट में बदलाव कर महापौर-सभापति के सीधे चुनाव कराए जाने का फैसला लिया था।