चिकित्सकों का कहना है कि आज का युवा मोबाइल देखने के चक्कर में दो बजे बाद सोने लग गया है, जो काफी खतरनाक है। नींद नहीं आने से कॉर्टिसोल हार्मोन, लेप्टिजम और अन्य हार्मोन्स डिस्टर्ब हो जाते हैं, जिससे शरीर में ग्लूकोज का मेटाबोलिज्म अब्नॉर्मल हो जाता है। इसकी वजह से शुगर होने की आशंका रहती है।
पहले डाइट और कसरत की कमी की वजह से डायबिटीज होने का कारण माना जाता था। अब मोबाइल को भी इसकी एक वजह माना जा रहा है। नींद नहीं आने से हार्मोन ठीक से बन नहीं पाते। इससे शुगर बढ़ती है।
डायबिटीज होने के यह भी कारण – वायु प्रदूषण धुएं और वातावरण में मौजूद सूक्ष्म कण हम सांस के द्वारा अंदर ले लेते हैं। ये शरीर में विभिन्न रासायनिक क्रियाएं पैदा करती है, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ जाता है और यह लीवर, फैंफड़े, वसा की कोशिकाओं को और पेनक्रियाज की बीटा सेल को असर करके डायबिटीज और मोटापा जैसी बीमारियां कर देता है।
इनका कहना है युवाओं में टाइप-2 डायबिटीज अधिक देखी जा रही है। इसका प्रमुख कारण बदलती जीवनशैली और शारीरिक श्रम की कमी है। अच्छी दिनचर्या को अपनाएं। हैल्दी खाना खाएं। रात को जल्दी सोएं। धुमेह से बचाव के लिए अच्छी नींद लेना जरूरी है। कम से कम 7 घंटे की नींद लें।
– डॉ. प्रकाश केसवानी, सीनियर प्रोफेसर, मेडिसिन, एसएमएस मेडिकल कॉलेज युवाओं का मोबाइल पर देर रात तक लगे रहना खतरनाक साबित हो सकता है। इससे पेनक्रियाज की बीटा सेल खत्म होने लगती है। टाइप-2 डायबिटीज 20-25 साल के युवाओं में होने लग गई है।
– डॉ. अरविंद गुप्ता, मधुमेह रोग विशेषज्ञ