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वर्ष 2025 तक दोगुने हो जाएंगे डायबिटीज के मरीज

locationजयपुरPublished: Nov 12, 2019 07:21:57 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

Diabetes : जयपुर . पिछले दो दशकों में India में Diabetes होने की घटनाओं में Alarming Increase देखी गई है। 2017 में तकरीबन 7.29 करोड़ मामलों के साथ भारत World के डायबिटीज़ बोझ का 49 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है और ये संख्या अनुमान के मुताबिक साल 2025 तक दोगुना यानि करीब 13.4 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। डायबिटीज़ से हर साल करीब 5 लाख People की Die हो जाती है।

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diabetes : जयपुर . पिछले दो दशकों में भारत ( India ) में डायबिटीज़ ( Diabetes ) होने की घटनाओं में खतरनाक बढ़ोतरी ( Alarming Increase ) देखी गई है। 2017 में तकरीबन 7.29 करोड़ मामलों के साथ भारत दुनिया ( World ) के डायबिटीज़ बोझ का 49 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है और ये संख्या अनुमान के मुताबिक साल 2025 तक दोगुना यानि करीब 13.4 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। डायबिटीज़ से हर साल करीब 5 लाख लोगों ( People ) की मौत ( Die ) हो जाती है।
डायबिटीज, थायरॉइड व एंडोक्राइन सेटर के डॉ.एस.के.शर्मा ने बताया कि इन्सुलिन थेरेपी अक्सर डायबिटीज़ प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान में डायबिटीज़ से पीडि़त लगभग 35 प्रतिशत लोग इंसुलिन पर हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ से पीडि़त लोगों में इन्सुलिन उपचार का प्रमुख हिस्सा है। हालांकि टाइप 2 डायबिटीज से पीडि़त लोगों को जिनमें मौखिक रुप से ली जानेवाली दवाईयां, आहार और व्यायाम के बावजूद शुगर नियंत्रण में नहीं रहता, उन्हें भी ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित करने और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी, स्ट्रोक, पैरिफेरल वैस्कुलर रोग, किडऩी रोग इत्यादि जैसी बीमारियों से लंबे समय तक होने वाली समस्याओं की रोकथाम के लिए इन्सुलिन इंजेक्शन्स लेने की ज़रुरत होती है। बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण, आहार, व्यायाम और योग्य तरीके से इन्सुलिन लेकर इन जोखिमों को बड़े पैमाने पर कम किया जा सकता है।

इन्सुलिन थेरपी लेने वाले मरीज़ों में डायबिटीज़ पर ज्यादा से ज्यादा नियंत्रण बनाए रखने के लिए इंजेक्शन तकनीक महत्वपूर्ण होती है। शरीर में मांसपेशी को बचाने के लिए इन्सुलिन को त्वचा के नीचे मोटी परत पर इंजेक्ट किए जाने की जरुरत होती है। इसके साथ ही प्रत्येक इंजेक्शन के लिए हर समय नई जगह का उपयोग करना महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ही ये सलाह दी जाती है कि एक ही जगह पर बार बार इंजेक्ट न करें और ये सलाह दी जाती है कि हर इस्तेमाल इंजेक्शन के समय सुई को बदला जाए।

डॉ.एस.के.शर्मा ने बताया कि इन्सुलिन पेन और सीरिंज की सुईयों का इस्तेमाल एक बार ही किए जाने के लिए होता है लेकिन ये पाया गया है कि डायबिटीज से पीडि़त 70 प्रतिशत लोग सुईयों का फिर से इस्तेमाल करते हैं जिसका प्रमुख कारण है जागरुकता और योग्य तरीके से इंजेक्शन लेने के तरीकों के प्रशिक्षण की कमी। सुईयों के बार-बार इस्तेमाल से सुई की नोंक बंद हो जाती है और मुड़ जाती है, जिससे दर्द और खून निकलना बढ़ता है, खुराक की मात्रा सही नहीं होती और लिपोहायपरट्रोफी की समस्या होती है। लिपो मरीज के आमतौर पर इंजेक्शन वाली जगहों पर त्वचा के अंदर एक मोटी रबर की तरह सूजन होती है। अध्ययन में पाया है कि बार-बार एक ही सुई के इस्तेमाल से लिपो होने का खतरा बढ़ जाता है।

इंजेक्शन पूरा हो जाने के बाद सुई पर बैक्‍टीरिया मौजूद होता है और इसके बार-बार इस्तेमाल से बैक्‍टीरिया का विकास बढ़ जाता है। काट्र्रिज में इसका प्रत्यावहन स्थूल रुप से देखा जा सकता है। यदि देखभाल करनेवाले को इस सुई से कोई जख्‍म हो जाए तो इससे खून से संचारित होने वाले रोगों जैसे एचआईवी या हेपेटाइटिस का खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने वाले पेशेवरों द्वारा मरीज़ों में सुई के बार.बार इस्तेमाल से होने वाले विपरीत परिणामों के बारे में जागरुकता फैलाई जानी चाहिए और ऐसे तरीकों पर रोक लगाना चाहिए।

मरीज़ों के लिए उपचार के परिणामों का पता लगाने के लिए दवाईयों का लिया जाना प्रमुख कारक होता है। डायबिटीज जैसे लंबे समय तक चलने वाले प्रबंधनीय रोगों के प्रबंधन के मामले में भारत में ये खास तौर पर सच है। सुईयों के बार-बार इस्तेमाल और इंजेक्शन लेने के गलत तरीकों से गंभीर लेकिन फिर भी टाले जा सकने वाले परिणाम और समस्याएं और दवाईयों की त्रुटियां हो सकती है। इसलिए मरीजों की सुरक्षा के लिए, इन्सुलिन की सुईयों के दोबारा इस्तेमाल किए जाने से बचने के बारे में जागरुकता फैलाने की अत्यधिक आवश्यकता है।
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