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डायबिटीज में रखें बीपी नियंत्रित, कम होगा किडनी पर जोखिम

locationजयपुरPublished: Dec 25, 2020 11:30:05 pm

Submitted by:

Archana Kumawat

रोग का सबसे पहला लक्षण चेहरे और पैरों में सूजन आना है।

डायबिटीज में रखें बीपी नियंत्रित, कम होगा किडनी पर जोखिम

डायबिटीज में रखें बीपी नियंत्रित, कम होगा किडनी पर जोखिम

डायबिटीज के रोगियों में क्रॉनिक किडनी डिजीज कई कारणों से होती है, जिसमें डायबिटिक नेफ्रोपैथी मुख्य कारण है। यह समस्या लंबे समय तक शुगर के नियमित न रहने से होती है। इन मरीजों में किडनी की धमनी में रुकावट की वजह से ब्लड प्रेशर या इस्चोमिक नेफ्रोपैथी हो जाती है। किडनी में संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है। रोग का सबसे पहला लक्षण चेहरे और पैरों में सूजन आना है। साथ ही शरीर से प्रोटीन निकलने की वजह से यूरिन में झाग आने लगता है। इसके अलावा रक्तचाप का बढऩा, भूख कम लगना, उल्टी होना आदि समस्या भी हो सकती है। इन मरीजों में आंखों के पर्दे में बदलाव के कारण दृष्टि भी जा सकती है।

दर्द निरोधक दवा कम लें
यदि परिवार में डायबिटिक नेफ्रोपैथी की हिस्ट्री है तो अन्य सदस्यों में भी जोखिम बढ़ सकता है। ब्लड प्रेशर सही रखें। इससे किडनी पर दबाव नहीं पड़ेगा। दर्द निरोधक या किडनी को प्रभावित करने वाली दवा न लें। शुगर को नियंत्रित रखें। स्वस्थ खानपान और जीवनशैली अपनाएं। इन रोगियों मे किडनी के १०-१२त्न काम करने पर गुर्दा प्रत्यारोपण करवाना जरूरी है।

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