जयपुर

क्या आपको पता है चार दशक पहले तक रेडियो सुनने के लिए भी लेना पड़ता था लाइसेंस

रेडियो दिवस पर खास: डॉमेस्टिक और कॉमर्शियल श्रेणी में लगता था रेडियो पर शुल्क

जयपुरFeb 13, 2018 / 02:29 pm

Ashwani Kumar

परकोटा/जयपुर।

आज भले ही हम सब मोबाइल और एफएम रेडिरूो के दौर में किसी भी जगह रेडियो पर अपने मनपसंद प्रोग्राम सुन सकते हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब रेडियो सुनने के लिए सरकारी लाइसेंस लेना पड़ता था। इतना ही नहीं डॉमेस्टिक और कॉमर्शियल श्रेणी के लिए सालाना शुल्क भी अलग-अलग देना होता था। भले ही आज रेडियो सुनने का जमाना बीते दौर की बात हो गई लेकिन परकोटा में आज भही ऐसे शौकीन हैं जो न केवल रेडियो सुनते हैं बल्कि उनके पास विंटेज रेडियो के संग्रह का बेहतरीन खाना भी है। इनमें से कई तो 70 साल पुराने हैं। रेडियो दिवस पर जानिए परकोटा के ऐसे ही रेडियो शौकीनों से।
 

डाक-तार विभाग जारी करता था लाइसेंस
चार दशक पहले तक रेडियो सुनने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था। भारतीय डाक-तार विभाग इन्हें लाइसेंस धारक के नाम जारी करता था। डॉमेस्टिक क्षेणी के लिए १५ रुपए और कॉमर्शिल लाइसेंस के लिए ५० रुपए सालाना का शुल्क देना पड़ता था। अगर लाइसेंस धारक के पास एक से ज्यादा रेडियो सेट्स होते थे तो फीस में कुछ रिबेट भी दी जाती थी। अच्छी फ्रीक्वेंसी के लिए जालीदार ऐंटीना उपयोग किया जाता था। जिस कमरे में रेडियो रखा जाता था उसकी छत पर इसे लगाते थे। तांबे के बने इन चौड़े एंटीनों से मिलने वाली फ्रीक्वेंसी से रेडियो चलते थे।

45 विंटेज रेडियो अब भी करते काम
रामगंज क्षेत्र के निवासी सलीमुद्दीन ने 1971 से रेडियो कलेक्शन शुरू किया था। इस अनोखे शौक में इनके पास आज 50 के लगभग रेडियो सेट्स हैं। जिनमें 45 रेडियो तो अब भी काम कर रहे हैं। ६७ बसंत देख चुके सलीमुद्दीन बताते हैं कि घर पर इनके दादा का खरीदा हुआ 1947 का एचएमवी आरसी मॉडल का रेडियो सेट था। उस समय रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुनते हुए उन्हे रेडियो सुनने का शौक हुआ। 20 साल की उम्र में इन्होने अपना पहला रेडियो खरीदा। देश के कई हिस्सों में जाकर वहां से कभी सस्ते दाम में तो कभी मंहगी कीमत चुका कर समय के साथ-साथ रेडियो कलेक्शन में इजाफा किया।


आमेर के रहने वाले मोहम्मद इकबाल बताते हैं कि 45 साल पहले रेडियो कलेक्शन का शौक हुआ। काम के सिलसिले में जब भी किसी शहर में जाता था तो वहां भी पुराने रेडियो की तलाश रहती थी। और पसंद आने पर मुंह मांगी कीमत चुकाकर रेडियो ले लेता था। आज मेरे पास 24 के करीब विंटेज रेडियो हैं जिनमें अधिकतर चालू हालत में हैं।

विंटेज रेडियो और पाट्र्स के भी शौकीन
नदीम रिजवी के पास 10 विंटेज रेडियो और 10 रेडियो विथ रिकॉर्ड प्लेयर सेट्स रनिंग कंडीशन में मौजूद हैं। विंटेज रेडियो के अलावा इसमें लगने वाले पाट्र्स का भी अच्छा खासा कलेक्शन इनके पास मौजूद है। आज भी देश के विभिन्न हिस्सों से रेडियो के शौकीन अपने रेडियो को ठीक कराने के लिए पाट्र्स लेने इनके पास आते हैं। रिजवी बताते हैं कि 60-70 साल पुराने इन रेडियो को आज भी उसी हालत में प्रिर्जव कर रखा है। इनके मजबूत पाट्र्स और हार्डवेयर आजकल के रेडियो से कहीं ज्यादा टिकाऊ है। इनकी फ्रीक्वेंसी भी काफी अच्छी है। इनमें जीसीई यूएसए एचएमवी, फिलिप्स, बुश, नेल्को, मर्फी, टेक्सला, इलेक्ट्रोनिया, मार्वल खास हैं।

यह विंटेज रेडियो हैं खास
-एचएमवी आरसी मॉडल का सात बैंड वाला 70 साल पुराना रेडियो ।
-जीसीई यूएसए का सात बैंड वाला 60 साल पुराना रेडियो।
-जीसीई यूएसए का तीन बैंड वाला 70 साल पुराना रेडियो।
-जीसीई यूएसए का चार बैंड वाला 70 साल पुराना रेडियो।
(सिटीजन जर्नलिस्ट मोहम्मद तसलीमउद्दीन उसमानी की रिपोर्ट)
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.