फोन किया, एंबुलेंस आई, चली गई
शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे स्थानीय निवासी हनुमान बापलावत को उनके किराएदार ने बताया कि युवक डिवाइडर पर पेड़-पौधों के बीच बेसुध पड़ा है। हनुमान ने तुरंत 108 पर फोन किया। 10 मिनट बाद एंबुलेंस आई। उन्होंने बेसुध युवक को देख कहा कि शराब पीने का मामला है, पुलिस को सूचित करो। एंबुलेंसकर्मी सूचना देने वाले हनुमान से रजिस्टर में हस्ताक्षर करवाकर वहां से चल दिए।
शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे स्थानीय निवासी हनुमान बापलावत को उनके किराएदार ने बताया कि युवक डिवाइडर पर पेड़-पौधों के बीच बेसुध पड़ा है। हनुमान ने तुरंत 108 पर फोन किया। 10 मिनट बाद एंबुलेंस आई। उन्होंने बेसुध युवक को देख कहा कि शराब पीने का मामला है, पुलिस को सूचित करो। एंबुलेंसकर्मी सूचना देने वाले हनुमान से रजिस्टर में हस्ताक्षर करवाकर वहां से चल दिए।
पुलिस को फोन किया, वे भी आए पर
रात्रि करीब नौ बजे पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन किया। 10-15 मिनट में ही पीसीआर गाड़ी आ गई। उन्होंने लोगों से पूछा तो पता चला कि यह तो युवक कहीं भी सो जाता है और शराब पीता है। पुलिस ने भी उसे नहीं संभाला। नशे में मानकर लोगों की मदद से उसे वहां से उठाकर के एक घर के पास लगे टीनशैड के नीचे सुला दिया। स्थानीय लोगों से बिछाने-औढ़ाने का इंतजाम कर पुलिस वहां से चली गई।
रात्रि करीब नौ बजे पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन किया। 10-15 मिनट में ही पीसीआर गाड़ी आ गई। उन्होंने लोगों से पूछा तो पता चला कि यह तो युवक कहीं भी सो जाता है और शराब पीता है। पुलिस ने भी उसे नहीं संभाला। नशे में मानकर लोगों की मदद से उसे वहां से उठाकर के एक घर के पास लगे टीनशैड के नीचे सुला दिया। स्थानीय लोगों से बिछाने-औढ़ाने का इंतजाम कर पुलिस वहां से चली गई।
जनता बोली, कैसे करें व्यवस्था पर विश्वास स्थानीय लोगों ने युवक को खाना खिलाने का भी प्रयास किया। ओढऩे-बिछाने का इंतजाम किया। सुबह उठने पर गोविंद कटारिया जब उसके लिए चाय लेकर गया तो वह मृत मिला। लोगों का कहना है कि जिम्मेदारों ने जिम्मेदारी समझी होती तो उसकी जिंदगी बच सकती थी। ऐसे में कैसे व्यवस्था पर विश्वास कायम होगा।