तेल की कीमतें मासिक या तिमाही आधार पर बढऩी चाहिए। ट्रक की परिचालन लागत में 65 फीसदी हिस्सा ईंधन का होता है। इसमें टोल चार्ज की करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी है। ऑपरेटर का कहना है कि पहले से ही मांग बहुत कम है और करीब 55 फीसदी ट्रकों के पास कोई काम नहीं है। ऐसी स्थिति में हमारे लिए कारोबार करना मुश्किल हो गया है। कोविड-19 के कारण बार-बार लॉकडाउन लगने से रोड ट्रांसपोर्ट सेक्टर की हालत खस्ता हो गई है।
देश में सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल बेचने वाली कंपनी इंडियन ऑयल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि डीजल महंगा ईंधन है। उसे बनाने में कंपनी को ज्यादा खर्च आता है। लेकिन पहले सरकार उस पर कम टैक्स वसूलती थी, इसलिए उसकी कीमत कम पड़ती थी। उन्होंने बताया कि इस समय एक लीटर पेट्रोल बनाने में 22.11 रुपए का खर्च आ रहा है, जबकि 1 लीटर डीजल बनाने का खर्च 22.93 रुपए है।
कोरोना संक्रमण सामने आने और लॉकडाउन के कारण सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने 16 मार्च से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोजाना आधार पर होने वाले बदलाव को बंद कर दिया था। 7 जून को कंपनियों ने पहली बार देश में एक साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की थी। यह बढ़ोतरी करीब 80 दिन बाद की गई थी।