scriptबाजे छे नोबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा … | diggi kalyan ji yatra 2019 : 54th Lakhi Padyatra : diggi kalyan | Patrika News

बाजे छे नोबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा …

locationजयपुरPublished: Aug 06, 2019 02:35:05 pm

Submitted by:

Devendra Singh

diggi kalyan ji yatra 2019 : जयपुर। जयपुर से डिग्गी कल्याणजी के लिए 54वीं लक्खी पदयात्रा ( 54th Lakhi Padyatra ) आज मंगलवार सुबह ध्वजा निशान के साथ शहर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से रवाना हुई। पदयात्रा में एक लाख से ज्यादा पदयात्री कल्याण धणी के जयकारे लगाते हुए रवाना हुए।

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Diggi Kalyan ji yatra 2019 : जयपुर। जयपुर से डिग्गी कल्याणजी के लिए 54वीं लक्खी पदयात्रा ( 54th Lakhi Padyatra ) आज मंगलवार सुबह ध्वजा निशान के साथ शहर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से रवाना हुई। पदयात्रा में एक लाख से ज्यादा पदयात्री कल्याण धणी के जयकारे लगाते हुए रवाना हुए। पदयात्रा मदरामपुरा, हरसुलिया, फागी, चौसला में रात्रि विश्राम करते हुए 10 अगस्त को डिग्गी कल्याणजी पहुंचेगी। कुछ पदयात्री कनक दंडवत करते हुए भी आगे बढ़ रहे थे तो कुछ डीजे पर बज रहे भजनों पर थिरकते हुए चल रहे थे। समिति के अध्यक्ष एवं यात्रा के संयोजक श्रीजी शर्मा ने बताया इस पैदल यात्रा का पहला विश्राम 6 अगस्त मदरामपुरा के बालाजी में तथा दूसरा 7 अगस्त का विश्राम हरसूलिया में होने को है। 8 तारीख को फागी, 9 को चोसला में विश्राम करते हुए अंत में पदयात्री 10 अगस्त को डिग्गी कल्याण धणी ( diggi kalyan dhani ) पहुंचेगे। इस तरह यहां पर शाम के लगभग 5 बजे शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। इसके बाद कल्याणधणी को ध्वज अर्पण कर गंगोत्री से लाए गंगाजल से अभिषेक किया जाएगा।
भजनों की रमझट, सजी झांकियां

पद यात्राओं के साथ चल रहे वाहनों में डीजे पर थारे बाजे नौबत बाजा म्हारा डिग्गी पुरी का राजा… सावन का महिना में डिग्गी को मेंळों भरे…, चालाला रे चालाला डिग्गी का मेळा मा…जैसे भजन बज रहे थे। महिलाएं-पुरूष क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग नृत्य कर अपने को निहाल कर रहे थे। कल्याणधणी के प्रति श्रद्धा के आगे बुढ़ापा व बचपन भी हार गया। लोग नृत्य करते थक नहीं रहे थे। वाहनों में कल्याणधणी की सजी हुई झांकियां चल रही थी। वही चौड़े रास्ते में बाबा भोलेनाथ की सजीव व बर्फानी झांकी सजाई गई।
इस तरह हुई शुरूआत

श्री डिग्गीपुरी कल्याण लक्खी पदयात्रा समिति के संयोजक व संचालक श्रीजी शर्मा बताते हैं उनके दादा रामेश्वर लोहेवाले के 14 साल तक कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने अपनी बहन के बेटे प्रहलाद शर्मा को गोद ले लिया। लेकिन प्रहलाद शर्मा के भी शादी के सात साल बाद तक कोई संतान नहीं हुई तो रामेश्वर लोहेवाला चिंतित रहने लगे। इसी दौरान एक महात्मा उनकी दुकान पर आए और उन्हें चिंता देख उन्हें डिग्गी कल्याणजी के पैदल परिक्रमा ले जाने की सलाह दी। इस पर उन्होंने 1964 में सावन शुक्ला छठ को चौड़ा रास्ता के ताडकेश्वर महादेव मंदिर से पैदल परिक्रमा शुरू की। परिक्रमा शुरू करने के आठ साल बाद संतान हुई, जिसका नाम श्रीजी रखा गया। शुरूआती दौर में दस प्रन्द्रह लोगों से शुरू की गई यात्रा में आज लाखों श्रद्धालु डिग्गी कल्याण के दर पर धोक लगाने जाते है। इस परंपरा का निर्वहन करते हुए उनके पोते श्रीजी शर्मा 54वीं लक्खी पदयात्रा का झंडा उठा रहे हैं।
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