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जयपुर

महिलाओं के प्रजनन अधिकार: मुद्दे एवं चुनौतियां विषय पर हुई चर्चा

राजस्थान विश्वविद्यालय में पंचवर्षीय विधि महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, महिला मुद्दे पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने रखे विचार

जयपुरFeb 22, 2020 / 06:42 pm

pushpendra shekhawat

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जयपुर. महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए शनिवार को राजस्थान विश्वविद्यालय में पंचवर्षीय विधि महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित संगोष्ठी का विषय महिलाओं के प्रजनन अधिकार: मुद्दे एवं चुनौतियां था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहबाद हाइकोर्ट के न्यायधीश एमएन भंडारी और विशिष्ट अतिथि वुमन एसोसिएशन की प्रो.पवन सुराणा थी। कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में 200 प्रतिभागियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किया। इस दौरान जस्टिस भंडारी ने भारतीय और अन्य विदेशी समाज की को उजागर करते हुए बताया कि महिलाओं के मौलिक अधिकारों में क्या क्या अंतर हैं।
इस दौरान एक छात्रा ने आगामी फिल्म थप्पड का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या पुरुष को अधिकार है कि वो महिला को सार्वजनिक रूप से थप्पड मार सकता है। इस पर पूर्व राज्य महिला आयोग लाड कुमारी जैन ने जबाव दिया कि ये किसी पुरुष को अधिकार नहीं है कि वो महिला को थप्पड मार सके। लेकिन अगर एक पुरुष ऐसी गलती करता है तो उसे उस गलती का अहसास होना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
बाल विवाह और दहेज प्रथा महिला शोषण की वजह
जस्टिस भंडारी ने कहा कि जज होने के नाते हम दोनों पक्षों को सुनते हैं। लेकिन अकसर देखा जाता है कि महिला समाज अधिक शोषित और प्रतड़ित होता है। इसका मुख्य कारण बाल विवाह और दहेज प्रताड़ना है। उन्होंने बताया कि गर्भपात के मामले में एक बोर्ड का गठन किया जाता है और उसी के द्वारा निर्णय होता है। जब तक महिला अकेली होती है, तब तक उसके अधिकार स्वयं से जुड़े होते हैं। लेकिन विवाह के बाद अन्य लोग भी जुड़ जाते हैं। गर्भधारण करने में पुरुष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वो भी प्रभावित पक्षकार होता है। इसलिए उसके भी अधिकार होते हैं।
बेटी पढ़ओ, बेटी बचाओ और बेटा समझाओ
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मंच चर्चा हुई, जिसमें पूर्व राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन, एडवोकेट प्रतीक कासलीवाल, विध विभागाध्यक्ष जीएस राजपुरोहीत, डॉ. लीला व्यास, डॉ. नीरजा व्यास, निदेशक पंच वर्षीय विधि महाविद्याल डॉ. संजुला थानवी। इस दौरान शोध विद्यार्थियों ने सेरोगेसी, महिला स्वास्थ्य, सुरक्षा, आत्मसम्मान, महिलाओं के प्रजनन अधिकार पर प्रश्न पूछे। इस दौरान डॉ. लीलाव्यास ने प्रजनन में महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और उपायों के बारे में चर्चा की। वहीं डॉ. संजीदा थानवी ने बेटी पढ़ओ, बेटी बचाओ और बेटा समझाओ का नारा दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं का शोषण रोकने और उनके अधिकार देने के लिए समाज को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।

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