धूम्रपान के जहर की तरह खतरनाक हो रहा एकाकीपन जयपुर में मनोरोग विशेषज्ञों का सम्मेलन शुरू, एकाकीपन पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता
परिवारों का विघटन पड़ रहा है भारी, जयपुर में ही 30 लाख लोग पीडि़त
जयपुर। संयुक्त परिवारों की टूटती प्रथा, एकल परिवार के बढ़ते चलन और उससे भी ऊपर एकाकीपन के बढ़ते मामले धूम्रपान से सेहत को होने वाले नुकसान की तरह घातक होते जा रहे हैं। जयपुर में शनिवार इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी राजस्थान चैप्टर की 34वीं सालाना कांफ्रेंस के पहले दिन मनोरोग विशेषज्ञों ने इस पर गहरी चिंता जताई। जयपुर के मनोरोग अस्पताल के विशेषज्ञों ने बताया कि करीब पांच फीसदी आबादी एकाकीपन की समस्या से पीडि़त होकर अवसाद और तनाव से गुजर रही है। इनका कहना था कि एकाकीपन का दुष्प्रभाव 15 सिगरेट पीने जितना पड़ सकता है। यह एक नई जानलेवा बीमारी के रूप में उभरकर सामने आ रही है। करीब पांच फीसदी लोग इस तरह के तनाव और अवसाद से गुजर रहे हैं। जयपुर शहर में ही इसके करीब 30 लाख पीडि़त होने का अनुमान है। जयपुर के मनोरोग विशेषज्ञ और आयोजन सचिव डॉ.अनिल तांबी ने बताया कि एकाकीपन ओर एकांतवाद में अंतर है। एकाकीपन में इंसान मजबूरी में रहता है। एकांतवास में खुद चिंतन करता है, स्वयं के लिए चीजों का मनन करता है। उन्होंने सुझाव दिया कि संबंधों में सुधार कर एकाकीपन की समस्या को दूर किया जा सकता है। सम्मेलन में देशभर के करीब 250 मनोरोग विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि एकाकीपन धीमे जहर की तरह है और कई मानसिक समस्याओं की जड़ है। इससे बचने के लिए लोगों से घूल-मिलकर रहना, घूमना फिरना और अच्छे लोगों के बीच रहना जरूरी है। आयोजन में गत वर्ष मनोचिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य एवं उत्कृष्ट अनुसंधान करने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आयोजन अध्यक्ष डॉ. आरके सोलंकी सहित ईएसआइ अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन सहित कई प्रमुख चिकित्सक शामिल थे।
वृद्धावस्था को स्वस्थ कैसे बनाया जाए कार्यक्रम के पहले दिन मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी थे। आयोजन में देशभर के 9 मनोचिकित्सकों ने आम जीवन की सामान्य समस्याओं पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। जिनमें एकाकीपन का जीवन पर प्रभाव और बुढ़ापे को स्वस्थ कैसे बनाया जाए। इसके अलावा कृतज्ञता व दूसरों की सहायता करने के हमारे दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव प्रमुख व्याख्यान थे।