बीकानेर में 77 हजार फर्जी राशन कार्ड बंट गए और रसद विभाग को खबर तक नहीं लगी। अब इस भूल पर लीपापोती हो रही है। इस गड़बड़झाले में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों के राशनकार्ड बनने का भी अंदेशा है।
बीकानेर में 77 हजार फर्जी राशन कार्ड बंट गए और रसद विभाग को खबर तक नहीं लगी। अब इस भूल पर लीपापोती हो रही है। इस गड़बड़झाले में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों के राशनकार्ड बनने का भी अंदेशा है।
लापरवाही की हद तो यह भी रही कि फर्जी तौर पर बने राशन कार्डों का वितरण हो गया और उपभोक्ता राशन उठाते रहे। अब जब फर्जीवाड़ा सामने आया तो विभाग एेसे राशनकार्ड रद्द करने की कवायद में जुट गया है। ज्ञात रहे कि देश के अन्य राज्यों में भी इस प्रकार के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इंदौर, यूपी, कोटा सहित अनेक शहरों में इस प्रकार के मामले सामने आए।
यूं हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
असल में, राज्य सरकार राशन वितरण व्यवस्था को ऑन लाइन करने की कवायद कर रही है। इस संबंध में बनाए गए सॉफ्टवेयर में एक नाम, एक स्थान, आधार नम्बर, और एक ही प्रकार के सरकारी दस्तावेज के लाखों राशन कार्ड सामने आ गए। अकेले बीकानेर जिले में इस प्रकार के राशन कार्डों की संख्या 77 हजार पकड़ में आई।
रसद विभाग अब फर्जी व दोहरे राशन कार्डों को निरस्त करने के लिए अभियान चलाएगा। रसद विभाग के उच्चाधिकारियों की मानें तो संबंधित वार्डों के उचित मूल्य दुकानदारों को भी इस संबंध में सूचित किया जा रहा है, ताकि राशन का नुकसान नहीं हो।
16 जिलों में एक ही कंपनी को ठेका
बीकानेर सहित राज्य के 16 जिलो में गुजरात इन्फो कम्पनी को कम्प्यूटराइज्ड राशन कार्ड बनाने का ठेका दिया गया था। इस कम्पनी ने बीकानेर में करीब छह लाख कम्प्यूटरीकृत राशन कार्डों के आवेदन संग्रहित किए थे। रसद विभाग के अधिकारियों की मानें तो कम्पनी को राशन कार्ड बनाने की एवज में करीब 40 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
निरस्त होंगे फर्जी कार्ड
कम्पनी की गलती के कारण बीकानेर जिले में करीब 77 हजार फर्जी राशन कार्ड बन चुके हैं। अब इन्हें निरस्त किया जाएगा। सात हजार से अधिक राशन कार्डों के ठिकाने तक नहीं मिले हैं।
पार्थ सारथी, जिला रसद अधिकारी बीकानेर