आदेश के पीछे ये बताई वजह यादव ने बताया कि अक्सर यह देखने में आता है कि विभिन्न त्योंहारों और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक समारोह के अवसर पर भारी मात्रा में अत्यधिक प्रदूषण कारक एवं ध्वनियुक्त अतिशबाजी, पटाखे चलाये जाते हैं। इससे न केवल ध्वनि प्रदूषण होता है बल्कि वायु प्रदूषण की अत्यधिक मात्रा मे बढ़ जाता है। आतिशबाजी के कारण मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव तथा साथ ही बीमार व अस्थमा पीड़ित व्यक्तियों को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षार्थियों को पढ़ाई भी इस कारण प्रभावित होती है।
आमजन से अपील जिला कलक्टर यादव ने सभी नागरिकों से निवेदन किया है कि निर्धारित प्रावधानों को देखते हुए ध्वनि एवं वायु प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों एवं अतिशबाजी का विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक अवसरों पर प्रयोग करने से बचें एवं अत्यधिक आवश्यकता होने पर उत्तरदायित्वपूर्ण न्यूनतम ग्रीन पटाखों का ही आतिशबाजी के लिए उपयोग करें।
…इधर, ध्वनि और वायु प्रदूषण की होगी जांच दीपावली के अवसर पर प्रदेश में पटाखे व आतिशबाजी से होने वाले ध्वनि व वायु प्रदूषण से वातावरण को बचाने के लिए सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा ध्वनि प्रदूषण करने वाले पटाखों को प्रतिबधिंत करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में राजस्थान राज्य प्रदूषण मण्डल द्वारा राज्य में दीपावली पर्व के दौरान अनुश्रवण एवं वायु परिवीक्षा की जानी सुनिश्चित की गई है।