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महालक्ष्मी की घर-घर बरसेगी कृपा, ग्रहों का 300 साल बाद विशेष संयोग

locationजयपुरPublished: Nov 14, 2020 11:03:42 am

Submitted by:

Kamlesh Sharma

सर्वार्थसिद्धि योग, स्वाति नक्षत्र और सौभाग्य योग में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त अमावस्या शनिवार को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। कोरोना काल के मद्देनजर इस बार पटाखों और आतिशबाजी नहीं होगी।

diwali 2020: diwali puja shubh muhurat

सर्वार्थसिद्धि योग, स्वाति नक्षत्र और सौभाग्य योग में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त अमावस्या शनिवार को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। कोरोना काल के मद्देनजर इस बार पटाखों और आतिशबाजी नहीं होगी।

जयपुर। सर्वार्थसिद्धि योग, स्वाति नक्षत्र और सौभाग्य योग में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त अमावस्या शनिवार को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। कोरोना काल के मद्देनजर इस बार पटाखों और आतिशबाजी नहीं होगी। सुबह महिलाएं घरों में मांडने मांडेगी और लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों को फूल मालाओं से सजाया जाएगा। घर-घर धन की देवी लक्ष्मीजी का स्वागत सत्कार किया जाएगा। शाम को घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी पूजन होगा। रविवार को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा। सोमवार को भाई दूज मनाई जाएगी।
ज्योतिषिचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि प्रदोष काल में अमावस्या होने से दिवाली पूजन होगा। घर में हर दिशा से लक्ष्मीजी का प्रवेश हो इसलिए आठ दिशाओं में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों आद्य, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग, योग लक्ष्मी की आराधना की जाएगी। इसके बाद बड़े-बुजुर्गों आर्शीवाद लिया जाएगा। इससे पूर्व शुक्रवार को रूपचतुर्दशी के निम्मित दीपदान किया गया। साथ ही धन के देवता कुबेर, यमदेव और भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना की गई।
यह होगा खास
पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक सर्वार्थसिद्धि योग, स्वाति नक्षत्र और सौभाग्य योग में दिवाली का पर्व होना विशेष फलदायी है। इसमें माता लक्ष्मी की आराधना सिद्धिदायक रहेगी। लंबे समय बाद दिवाली पर ग्रहों का विशेष योग संयोग भी देखने को मिलेगा। देवगुरु बृहस्पति स्वराशि धनु में, न्याय के देवता शनि मकर राशि में रहेंगे। वहीं शुक्र अपनी नीच राशि कन्या और सूर्य नीच राशि तुला में रहेगा। चारों ग्रहों का यह संयोग दिवाली के दिन 300 साल में पहली बार बनेगा। ऐसे में आगामी समय में देश को कई सार्थक परिणाम मिलेंगे। साथ ही देश विदेश में भारत की साख बढ़ेगी। वर्ष 1913 के बाद बृहस्पति, शनि स्वराशि और सूर्य नीच राशि में दिवाली पर एक साथ रहे थे। ऐसा ही संयोग इस बार बन रहा है। सभी राशि के जातकों को तेल का दीपदान करने से आरोग्य में वृद्धि होगी।
रात्रि के समय करें श्रीसूक्तम, लक्ष्मी सूक्तम का पाठ
आचार्य गौरीशंकर शर्मा और पं.सुधाकर पुरोहित ने बताया कि ग्रहों का दुर्लभ संयोग इस बार खास होगा। आज सफेद और लाल वस्त्र धारण करें। वहीं दोपहर बाद कार्तिक अमावस्या होने से लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठें। लक्ष्मीजी को चौकी पर विराजमान कर षोड्शोपचार पूजन करें। इसके बाद कुबेर के रूप में तिजोरी और सरस्वती के रूप में बही खाता, पेन और स्याही का पूजन करें। पूजन के बाद माता की आरती कर प्रसाद बांटे। शास्त्रों के अनुसार माता को कमल का फूल विशेष प्रिय है। कमल पुष्प अर्पित करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आर्शीवाद देती है। भक्तों को रात्रि के समय श्रीसूक्तम्, लक्ष्मी सूक्तम्, गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करें।

यह रहेंगे मुहूर्त
पं.पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि शास्त्रानुसार लक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न में करना बेहतर माना गया है। शर्मा ने बताया कि गृहस्थों को शाम को प्रदोषकाल युक्त वृषभ लग्न में महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए।
गोवर्धन पूजा का मुहूर्त
गोवर्धन पूजा शनिवार को होगी। सुबह 8.11 से दोपहर 12.11 बजे चर, लाभ और अमृत के चौघडि़ए और अभिजित मुहूर्त 11.50 से दोपहर 12.32 बजे तक रहेगा। उपमर्दन का समय प्रदोषकाल में शाम 5.32 से रात 8.11 बजे तक रहेगा। सोमवार को भाईदूज का पर्व मनाया जाएगा। सुबह 6.51 से सुबह 8.11 बजे तक अमृत का चौघडिय़ा 9.31 से 10.51 शुभ का चौघडिय़ा रहेगा। अभिजित मुहूर्त 11.50 से 12.32 बजे तक रहेगा। वहीं दोपहर 1.32 से शाम 5.32 बजे तक चर, लाभ और अमृत का चौघडिय़ा रहेगा।
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