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दीया कुमारी बोलीं- हम राम के वंशज, रामजन्म भूमि का प्राचीन नक्शा किया सार्वजनिक

locationजयपुरPublished: Aug 11, 2019 02:57:05 pm

Submitted by:

santosh

राजसमंद से भाजपा सांसद और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी ने शनिवार को ट्वीट किया कि हम भगवान राम के वंशज हैं। जयपुर की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की राजधानी है।

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जितेन्द्र सिंह शेखावत
जयपुर। राजसमंद से BJP सांसद और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी ने शनिवार को ट्वीट किया कि हम भगवान राम के वंशज हैं। जयपुर की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की राजधानी है।

 

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि भगवान राम का कोई वंशज अयोध्या या दुनिया में है। इसके बाद शनिवार को पूर्व राजपरिवार के ब्रिगेडियर भवानी सिंह की पत्नी पद्मनी देवी के निर्देश पर सिटी पैलेस के कपड़द्वारा में सुरक्षित रखे राम जन्म भूमि व अयोध्या के अति प्राचीन मानचित्र निकाल कर सार्वजनिक किए गए। राम के पुत्र कुश के वंशज होने से ढूढाड़ के राजा कछवाहा कहलाने के साथ राम की 309वीं पीढ़ी में मानते हैं।


सिटी पैलेस के विशेषाधिकारी रामू रामदेव ने बताया कि रामजन्म भूमि को लेकर कपड़द्वारा में सुरक्षित दस्तावेज के आधार पर राजस्थान विवि में इतिहास के पूर्व प्रोफेसर आर नाथ ने दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर की भूमि जयपुर रियासत के अधिकार में रही है। इस बारे में नाथ ने शोध ग्रंथ की पुस्तक स्ट्डीज इन मिडीवल इंडियन आर्केटेक्चर में दस्तावेज के साथ साबित किया है कि अयोध्या में कोट राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधिकार में रहा था। इसके पट्टे और अनेक दस्तावेज कपड़द्वारा में सुरक्षित हैं। सवाई जयसिंह ने भूमि खरीदने के बाद वहां सुरक्षा के लिए परकोटा बनाया। खरीद के पेटे रकम का भुगतान रियासत द्वारा करने के दस्तावेज भी हैं।

 

सैन्य सुरक्षा से घिरा था इलाका
सारा इलाका सैन्य सुरक्षा से घिरा था और इसमें किसी दूसरे को निर्माण की इजाजत नहीं थी। यहां का किला कोट रामचन्द्रपुरा सरयू तट से करीब 40 फीट ऊंचाई पर बनाया गया। सवाई जयसिंह ने रामजन्म स्थान का जीर्णोद्धार करवाया। हिन्दू शैली के मंदिर में तीन शिखर भी बनाए और निर्माण कार्य हिन्दू धर्म शास्त्र के मुताबिक किया गया।

 

कोर्ट को सौंप दिएथे दस्तावेज
पद्मनी देवी ने बताया कि 1992 में ही ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने मानचित्र सहित अन्य दस्तावेज न्यायालय को सौंप दिए थे। जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा यह फर्ज बनता था।

 

दावा : जयसिंह ने सरयू पर कराया था अनुष्ठान

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इतिहासकार आर नाथ ने दावा किया है कि रामजन्म स्थान जयसिंहपुरा में है। जिसकी भूमि को बादशाह औरगजेब की 1707 में मृत्यु के बाद सन् 1727 में हासिल की गई। भूमि पर निर्माण की जयसिंह को इजाजत दी गई। प्राचीन मानचित्र व दस्तावेज में अयोध्या में हवेली ,सरईपुर, कटला भी है। अवध के नायब नाजिम कल्याण राय का हुकुमनामा भी है। सवाई जयसिंहपुरा परकोटे से घिरा था। जयसिंह ने सरयू नदी पर धार्मिक अनुष्ठान भी कराया था। मानचित्र में अयोध्या के स्थानों का विहंगम दृश्य दिखाया है। सारे निर्माण कार्य आठ साल में पूरे किए गए थे। किला महल व रामकोट भी जयसिंहपुरा में शामिल था। इसमें धुनषाकार प्रवेशद्वार था। भगवान राम की खडा़ऊ का स्थान भी था। जानकीजी का स्नानागार व 9 मंजिला महल था। सप्तसागर महल में राम के शिक्षा ग्रहण करने का स्थान और सीता का अग्नि कुंड भी था।
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