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जयपुर

बैकफुट पर स्वायत्त शासन विभाग, पहले कहा…शहर से दूर छोड़ो श्वान, अब टीकाकरण के बाद यथास्थान पर छोडऩे के आदेश

डॉग बाइटिंग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए स्वायत्त शासन विभाग ने आनन-फानन में आदेश निकाला। जब पशु प्रेमियों का विरोध बढ़ा तो दो दिन बाद स्वायत्त शासन विभाग ने संशोधित आदेश निकाल दिया। जिसमें लिखा कि आक्रामक प्रवृत्ति के श्वानों की पहचान कर उनका उपचार एवं टीकाकरण कर वापस यथास्थान पर छोडऩे के आदेश दिए।

जयपुरMar 28, 2024 / 11:52 am

Ashwani Kumar

बैकफुट पर स्वायत्त शासन विभाग, पहले कहा...शहर से दूर छोड़ो श्वान, अब टीकाकरण के बाद यथास्थान पर छोडऩे के आदेश

बैकफुट पर स्वायत्त शासन विभाग, पहले कहा…शहर से दूर छोड़ो श्वान, अब टीकाकरण के बाद यथास्थान पर छोडऩे के आदेश

डॉग बाइटिंग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए स्वायत्त शासन विभाग ने आनन-फानन में आदेश निकाला। जब पशु प्रेमियों का विरोध बढ़ा तो दो दिन बाद स्वायत्त शासन विभाग ने संशोधित आदेश निकालदिया। जिसमें लिखा कि आक्रामक प्रवृत्ति के श्वानों की पहचान कर उनका उपचार एवं टीकाकरण कर वापस यथास्थान पर छोडऩे के आदेश दिए। जबकि, 20 मार्च को डीएलबी ने अपने आदेश में साफ लिखा था कि आक्रामक प्रवृत्ति के श्वानों की पहचान कर उनको पकडकऱ शहर से दूर छोड़ा जाए। बाद में कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया गया तो श्वानों का टीकाकरण और बधियाकरण करने के बाद उनके स्थान को न बदलने के आ देश दिए गए।

दरअसल, केंद्र सरकार ने मार्च, 2023 में पशु जन्म नियंत्रण कानून लागू किया था। इस पर अब तक राज्य में कोई काम ही शुरू नहीं हो पाया है। यदि इस पर स्वायत्त शासन विभाग और शहरी निकाय काम करें तो लोगों और श्वानों को राहत मिलने की उम्मीद है।


हिंसक श्वान की निगरानी करने का सिस्टम ही नहीं
-यदि कोई श्वास हिंसक है तो तीन चिकित्सकों का बोर्ड निगरानी रखता है। दोनों निगम में बोर्ड का गठन ही नहीं हुआ है। हिंसक श्वान को रखने की कोई व्यवस्था भी नहीं है।
-श्वान के टीकाकरण और बधियाकरण के बाद वापस उसी स्थान पर छोडऩे की जिम्मेदारी श्वान पकडऩे वाली टीम की होती है। उसकी कोई निगरानी नहीं होती।

ये है जिम्मेदारी
– पशु जन्म नियंत्रण कानून में निकायों से लेकर स्थानीय विकास समितियों की भी जिम्मेदारी तय की गई है।
– रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) या उस क्षेत्र के पार्षद की जिम्मेदारी है कि उस क्षेत्र में रहने वाले श्वानों को ऐसे स्थान पर खाने की व्यवस्था करनी है। जहां बच्चे खेलने नहीं जाते हों। प्रवेश और निकास द्वार से दूर हों और वरिष्ठ नागरिकों भी नहीं जाते हों। श्वानों की देखरेख करने का कोई कॉलोनी में विरोध है तो उसके लिए पशु कल्याण समिति का गठन होगा।
– निकाय: पर्याप्त संख्या में कैनल, पशु चिकित्सा अस्पताल में सुविधाएं, अंगों और शवों के निपटान के लिए भस्मक की स्थापना, श्वान घर के ऑपरेशन थिएटर में सीसीटीवी कैमरे लगाना जरूरी है।

ये भी जरूरी
-जारी करें हेल्पलाइन: कुत्तों के काटने या पागल कुत्तों की शिकायतों को सुनने के लिए निकाय हेल्पलाइन जारी करें।
-तुरंत मिले उपचार: काटने की सूचना पर सरकारी चिकित्सा अस्पताल से जानकारी तुरंत साझा की जाए। ताकि पीडि़त को तुरंत उपचार मिल सके।
-निगरानी जरूरी: संदिग्ध रैबिज कुत्ते को पशु चिकित्सा सर्जन और पशु कल्याण संगठन निगरानी करेंगे। कुत्ते को रैबीज है तो प्राकृतिक मृत्यु होने तक उसे अलग रखा जाएगा। रैबीज होने के 10 दिन के अंदर कुत्ते के मौत हो जाती है।

डीएलबी ने जारी किए दिशा-निर्देश
विभिन्न पशु कल्याण संगठनों की मांगों को ध्यान में रखते हुए स्वायत्त शासन विभाग ने मंगलवार को दिशा निर्देश जारी किए। निदेशक सुरेश ओला ने कहा कि जानवरों के साथ दया और प्रेमपूर्वक व्यवहार किया जाए। गैर सरकारी संगठन और आमजन के साथ मिलकर काम करके, हम एक ऐसा महापौर बनाएंगे, जो इंसान और जानेवरों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करा सकके। कुत्तों के प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करने और राज्य भर में प्रभावी रणनीति विकसित करने और राज्य भर में श्वानों के बधियाकरण के लिए बैठकें आयोजित की जाएंगी।

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