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‘बेबी टेक’ उत्पादों से डेटा सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

locationजयपुरPublished: Jul 28, 2019 04:57:04 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

‘बेबी टेक’ उत्पादों से डेटा सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
-रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 तक अकेले इंटरएक्टिव बेबी मॉनिटर की बाजार में २५० करोड़ संख्या हो जाएगी। लेकिन माता-पिता का भी निर्धारण करना होगा कि वे अपने बच्चों के लिए इन बेबी टेक्स का किस हद तक उपयोग करना चाहते हैं।

साल 2024 तक अकेले इंटरएक्टिव बेबी मॉनिटर की बाजार में 250 करोड़ संख्या हो जाएगी।

रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 तक अकेले इंटरएक्टिव बेबी मॉनिटर की बाजार में २५० करोड़ संख्या हो जाएगी। लेकिन माता-पिता का भी निर्धारण करना होगा कि वे अपने बच्चों के लिए इन बेबी टेक्स का किस हद तक उपयोग करना चाहते हैं।

एक दशक में इंटरनेट आधारित उपकरणों ने अब हमारे बच्चों के सामान्य जीवन को भी तकनीक से जोड़ दिया है। बच्चों के गीले डायपर को बदलने और संक्रमण से बचाने के लिए अक्सर उन्हें बार-बार जांचना पड़ता है। माता-पिता की इस परेशानी को दूर करते हुए एक डायपर निर्माता कंपनी ने ‘कनेक्टेड केयर सिस्टम’ के आधार पर ऐसा डायपर बनाया है जो हमें शिशु की दिनभर की गतिविधियों के हर पल की जानकारी देगा। लूमी कहे जाने वाला यह सिस्टम डायपर में लगा एक खास सेंसर है जो शिशुओं की गतिविधियों को ट्रैक करता है।
बढ़ रहा है बेबी टेक इंडस्ट्री का चलन
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) ने घरों के दैनिक कार्यों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। शिशुओं और मातृत्व से जुड़ी तकनीकी उत्पाद बनाने वाली कंपनियों ने स्मार्ट नाइट लाइट्स, टीथर और बच्चों की फीडिंग बोतल जैसे स्मार्ट गैजेट बनाए हैं। ये बच्चों के दिनभर की खान-पान संबंधी आदत को ट्रैक करती हैं। इतना ही नहीं इन कंपनियों ने शिुशओं को चुप कराने और लोरी सुलाने के लिए माता-पिता की आवाज को दोहराने वाली ऐप भी लॉन्च की हैं। अनुमान है कि साल 2024 तक अकेले इंटरएक्टिव बेबी मॉनिटर की बाजार में 250 करोड़ संख्या हो जाएगी।
बच्चों की निजी जानकारी खतरे में तो नहीं?
सो शल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने से लेकर बच्चों के शारीरिक विकास को ट्रैक करने वाली ऐप्स का इस्तेमाल करने से बड़ी कंपनियों को इनकी डिजिटल प्रोफाइल तैयार करने में मदद मिल सकती है। इस डेटा के आधार पर वे बच्चों पर जिंदगी भर नजर रख सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई मामलों में यह अब भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि बच्चों से जुड़े उपकरणों में स्टोर होने वाला डेटा का उपयोग कैसे किया जाता है और इसे कौन इस्तेमाल कर रहा है। गूगल और जापान-कोरिया की कंपनियां भी ऐसे सेंसर लगे डायपर बना चुकी हैं।
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