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खेती से युवाओं का मोह भंग ना होने दें -राज्यपाल

locationजयपुरPublished: Jun 26, 2020 05:10:24 pm

Submitted by:

Ashish

राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ( Governor and Chancellor Kalraj Mishra ) ने कहा है कि गांव उठेगा, तो देश उठेगा।

Do not let the youth's attachment to farming be disturbed

खेती से युवाओं का मोह भंग ना होने दें -राज्यपाल

जयपुर

Governor and Chancellor Kalraj Mishra : राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ( Governor and Chancellor Kalraj Mishra ) ने कहा है कि गांव उठेगा, तो देश उठेगा। हमारी सोच खाद्य सुरक्षा के साथ किसान की आय को दोगुनी करने वाली भी होनी चाहिए। कृषि में प्राकृतिक खेती के सिद्धान्तों को अपनायें। कृषि वैज्ञानिक किसानों की आयु दोगुनी करने वाले शोध करें। राज्यपाल ने कहा कि यह देखने में आ रहा है कि खेती से युवाओं का मोह भंग हो रहा है। युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करने के लिए कृषि एवं कृषि आधारित उद्यमों के लिए कौशल विकास के पाठ्यक्रम आरम्भ करने की आवश्यकता है। साथ ही मानव मूल्यों की अवधारणा स्थापित करने के लिए पाठ्यक्रमों में यथा स्थान परिवर्तन करना होगा ताकि युवा, उद्यमी बनने के साथ-साथ उच्च कोटि के कृषि वैज्ञानिक भी बन सके।

राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को राजभवन से कोविड-19 के बदलते परिदृश्य के तहत कृषि शिक्षा प्रणाली के सुदृढ़ीकरण की रणनीति पर आयोजित वेबिनार को वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से सम्बोधित करते हुए यह बात कही। इस वेबिनार का आयोजन बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की ओर से किया गया। राज्यपाल ने इस मौके पर कृषि मार्गदर्शिका 2020-21 का विमोचन किया। राज्यपाल ने समन्वित कृषि प्रणाली इकाई का भी उद्घाटन किया। इस वेबिनार से प्रदेश के दो हजार से अधिक कृषि वैज्ञानिक और छात्र-छात्राएं जुड़े। वेबिनार में स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने किया। प्रो. एन.के. शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द राम जायसवाल भी मौजूद थे।


स्ती और टिकाऊ खेती ही अंतिम विकल्प

वेबिनार में राज्यपाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सस्ती और टिकाऊ खेती ही अंतिम विकल्प है। हमें अपनी परम्परागत कृषि विधियों की और लौटना होगा। उनके साथ नवीन कृषि प्रौद्योगिकी का इस तरह से समावेश करना होगा कि खेती की लागत कम हो सके। प्राकृतिक खेती के सिद्धान्तों को अपनाना होगा, जिससे लागत कम हो और मुनाफा अधिक हो, तब ही सही मायनों में हम कृषि को आजीविका का सर्वोत्तम आधार बना पाएंगे।

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