आपको भी ‘कोरोना टाइम’ का है तनाव, तो मनोविज्ञान का ले सहारा…
जयपुरPublished: Apr 04, 2020 05:15:51 pm
21 दिनों के लॉकडाउन से गुजर रहे देश में लोग घरों में कैद हैं। बाहर से आ रही कोरोना की खबरें घर में बैठे लोगों का तनाव बढ़ा रही है। कोरोना की बढ़ती संख्या निश्चित ही चिंता का विषय है। अब देश के तीसरी स्टेज पर पहुंचने का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में लोग जिंदगी के साथ ही बाकी जरूरतों और देशभर के बिगड़ते आर्थिक ढांचे से तनाव में हैं।
do not take depression in time of corona
JAIPUR- 21 दिनों के लॉकडाउन से गुजर रहे देश में लोग घरों में कैद हैं। बाहर से आ रही कोरोना की खबरें घर में बैठे लोगों का तनाव बढ़ा रही है। कोरोना की बढ़ती संख्या निश्चित ही चिंता का विषय है। अब देश के तीसरी स्टेज पर पहुंचने का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में लोग जिंदगी के साथ ही बाकी जरूरतों और देशभर के बिगड़ते आर्थिक ढांचे से तनाव में हैं। लेकिन फिर भी जागरुकता के अभाव में लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियम तोड़ते नजर आते हैं। वहीं कोरोना पेशेंट या संदिग्धों के डॉक्टर्स के साथ बुरे व्यवहार की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। दो दिन पहले ही इंदौर में जमात के लोगों की स्क्रीनिंग करने गई टीम को लोगों ने पीट कर भगाया। वहीं महाराष्ट्र में एक उत्स व रैली निकालने को रोकने गई पुलिस पर भी पथराव किया गया। जब देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, वहां ऐसी घटनाएं बताती हैं कि लोगों में जागरुकता की कमी है। वहीं कहीं जगह लोगों का तनाव भी हावी हो रहा है। इस महामारी के समय क्या सही है, क्या गलत, इसका खयाल रखना जरूरी है। किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है, बता रहीं हैं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. मनीषा गौड़—