नए मतदाता और युवाओं के नाम कम जुड़े राज्य की मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं के नाम नहीं होने को लेकर निर्वाचन विभाग भले ही दावे करे, लेकिन जनसंख्या अनुपात के हिसाब से मतदाता संख्या देखी जाए तो 39 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं के नाम अधिक जुड़े हैं। सूत्रों के मुताबिक जनसंख्या के हिसाब से जितने युवा मतदाता राज्य की मतदाता सूची में शामिल होने चाहिए, उससे काफी कम हैं। जबकि 39 साल से अधिक उम्र के मतदाता का अनुपात अधिक है।
कहीं ये तो नहीं वजह चुनाव कार्य से जुड़े अधिकारियों की मानें तो 39 साल से अधिक उम्र के मतदाता का पलायन नौकरी के हिसाब से एक से अधिक स्थानों पर ज्यादा होता है। ऐसे में वे जहां भी जाते हैं, नाम जुड़वाते रहते हैं। यही कारण है कि 39 साल से ज्यादा उम्र के मतदाताओं के नाम सभी श्रेणियों में ज्यादा जुड़ चुके हैं।
इनके जोडे ज्यादा नाम, बिगड सकता है गणित 39 से लेकर 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं के नाम ज्यादा जोड़ दिए गए जो उम्मीदवारों का गणित बिगाड सकते हैं। यदि राज्य की मतदाता सूची में जनसंख्या अनुपात में मतदाताओं के इन आंकड़ों को ठीक नहीं किया गया, तो आने वाले विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों का गणित बिगाड़ सकते हैं। वहीं निर्वाचन विभाग के उच्चाधिकारी भी मतदाता सूची को लेकर निचले स्तर पर मॉनिटरिंग करने के बजाय कागजी कार्रवाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।