गौरतलब है कि पिछले महीने 12 नवंबर को सेवारत चिकित्सकों और सरकार के बीच समझौता हो गया था। लेकिन लिखित समझौते की क्रियान्विति के बीच सरकार एक के बाद एक सख्त फैसले करती गई। चिकित्सा मंत्री सख्त बयान भी देते रहे। इस बीच डॉक्टरों के तबादले किए तो बात बिगडऩे लगी।
डॉक्टरों ने वापस सामूहिक अवकाश की चेतावनी दी तो सरकार ने रेस्मा की अवधि बढ़ाकर शुक्रवार को अचानक गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। ऐसे में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में रोजाना पहुंच रहे लाखों मरीजों की जान के लिए फिर मुसीबत खड़ी हो गई है।
दमन कर रही है सरकार
डॉक्टरों का आरोप है कि पिछली बार हड़ताल के लिए चिकित्सा मंत्री ने ‘राजनीतिक चाल’ को जिम्मेदार बताकर ठीकरा फोडऩे की कोशिश की थी। लेकिन इस बार खुद मंत्री के बयान और सरकार का रवैया हड़ताल का कारण बना है। पिछले समझौते की पूरी तरह पालना कराने की बजाय सरकार दमन की कार्रवाई कर रही है।
डॉक्टरों का आरोप है कि पिछली बार हड़ताल के लिए चिकित्सा मंत्री ने ‘राजनीतिक चाल’ को जिम्मेदार बताकर ठीकरा फोडऩे की कोशिश की थी। लेकिन इस बार खुद मंत्री के बयान और सरकार का रवैया हड़ताल का कारण बना है। पिछले समझौते की पूरी तरह पालना कराने की बजाय सरकार दमन की कार्रवाई कर रही है।
सरकार के रवैये पर यूं उठे सवाल
– 12 नवंबर को समझौता हुआ।
– समझौते के तुरन्त बाद चिकित्सा मंत्री ने हड़ताल को डॉक्टरों का तांडव बता दिया। – इसके कुछ दिन बाद ही सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित करीब एक दर्जन डॉक्टरों के तबादले कर दिए।
– सरकार के ४ साल पूरे होने पर चिकित्सा विभाग की प्रेसवार्ता में मंत्री ने डॉक्टरों को चींटी बता दिया।
– 12 नवंबर को समझौता हुआ।
– समझौते के तुरन्त बाद चिकित्सा मंत्री ने हड़ताल को डॉक्टरों का तांडव बता दिया। – इसके कुछ दिन बाद ही सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित करीब एक दर्जन डॉक्टरों के तबादले कर दिए।
– सरकार के ४ साल पूरे होने पर चिकित्सा विभाग की प्रेसवार्ता में मंत्री ने डॉक्टरों को चींटी बता दिया।
– डॉक्टरों ने 18 दिसंबर से सामूहिक अवकाश की घोषणा की, जिसके बाद चिकित्सा विभाग ने और 14 डॉक्टरों के तबादले कर दिए।
– डॉक्टरों को 18 दिसंबर से सामूहिक अवकाश पर जाना था लेकिन सरकार ने 15 दिसंबर की रात को ही 20 से ज्यादा डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया।
– डॉक्टरों को 18 दिसंबर से सामूहिक अवकाश पर जाना था लेकिन सरकार ने 15 दिसंबर की रात को ही 20 से ज्यादा डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया।
– नतीजा, सेवारत डॉक्टर दो दिन पहले ही हड़ताल पर चले गए। सरकार ने आरएएस को नहीं, हमें ही हटा दिया
सरकार ब्यूरोक्रेट्स के इतने दबाव में है कि लिखित समझौते के बावजूद आरएएस अधिकारी को नहीं हटाया। उलटे डॉक्टरों को ही हटाया जा रहा है। सरकार और चिकित्सा मंत्री का रवैया ही हड़ताल का कारण बना है।
सरकार ब्यूरोक्रेट्स के इतने दबाव में है कि लिखित समझौते के बावजूद आरएएस अधिकारी को नहीं हटाया। उलटे डॉक्टरों को ही हटाया जा रहा है। सरकार और चिकित्सा मंत्री का रवैया ही हड़ताल का कारण बना है।
– डॉ. अजय चौधरी, अध्यक्ष, सेवारत चिकित्सक संघ, राजस्थान