फैमिली डॉक्टर हुआ करते थे दोस्त
भारत में फैमिली डॉक्टर की परंपरा काफी पुरानी है। लेकिन यह फैमिली फ्रेंड कहीं खो गया है। इसलिए अब चिकित्सकों से मरीज मधुर और गोपनीय बातें नहीं करते। डॉक्टरी की तरह मेडिकल कम्युनिकेशन भी एक कौशल है, जिसे सिखाया जा सकता है। दुर्भाग्य से भारत में अब भी मेडिकल शिक्षा केवल चिकित्सकीय ज्ञान पर ही केन्द्रित है। जबकि विदेशों में अब यह अनिवार्य शर्त है कि सभी चिकित्सक मेडिकल कम्युनिकेशन में भी दक्ष हों।
भारत में फैमिली डॉक्टर की परंपरा काफी पुरानी है। लेकिन यह फैमिली फ्रेंड कहीं खो गया है। इसलिए अब चिकित्सकों से मरीज मधुर और गोपनीय बातें नहीं करते। डॉक्टरी की तरह मेडिकल कम्युनिकेशन भी एक कौशल है, जिसे सिखाया जा सकता है। दुर्भाग्य से भारत में अब भी मेडिकल शिक्षा केवल चिकित्सकीय ज्ञान पर ही केन्द्रित है। जबकि विदेशों में अब यह अनिवार्य शर्त है कि सभी चिकित्सक मेडिकल कम्युनिकेशन में भी दक्ष हों।
क्या है प्रभावी ‘मेडिकल कम्युनिकेशन’
एक प्रभावी चिकित्सकीय संचार में मरीज की अहमियत और उसकी प्राथमिकताएं शामिल होती हैं। इससे एक समझ विकसित होती है जो चिकित्सक पर मरीज का भरोसा कायम करती है। भरोसे की कमी से ही बीते कुछ सालों में मरीज-डॉक्टर विवाद बढ़े हैं। भरोसे की कमी लोगों को कमतर इलाज की ओर ले जाती है। ऐसे लोग जिनका डॉक्टरों पर भरोसा न हो कुशल संवाद से स्थिति बदल सकती है, साथ ही फिर से भरोसा जीता जा सकता है। साथ ही बेहतर नतीजे भी मिलते हैं।
एक प्रभावी चिकित्सकीय संचार में मरीज की अहमियत और उसकी प्राथमिकताएं शामिल होती हैं। इससे एक समझ विकसित होती है जो चिकित्सक पर मरीज का भरोसा कायम करती है। भरोसे की कमी से ही बीते कुछ सालों में मरीज-डॉक्टर विवाद बढ़े हैं। भरोसे की कमी लोगों को कमतर इलाज की ओर ले जाती है। ऐसे लोग जिनका डॉक्टरों पर भरोसा न हो कुशल संवाद से स्थिति बदल सकती है, साथ ही फिर से भरोसा जीता जा सकता है। साथ ही बेहतर नतीजे भी मिलते हैं।