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दायीं ओर धड़क रहा था महिला के सीने में दिल.. 6 घंटे की सर्जरी में डॉक्टर्स ने कर दिखाया कमाल, प्रदेश में पहला मामला

locationजयपुरPublished: Sep 10, 2018 06:27:58 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

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doctors get success in surgery of woman whose heart was in right side

doctors get success in surgery of woman whose heart was in right side

सिंवार मोड़/ दूदू/ जयपुर। हृदय विकारों के मामलों में लगातार वृद्धि होने के कारण अब री डू सर्जरी आम हो गयी है, लेकिन मरीज का हृदय अपनी प्राकृतिक स्थिति से विपरीत हो तो डॉक्टर के लिए सर्जरी करना बहुत जोखिम भरा काम होता है। लेकिन ऐसी ही सर्जरी को सफल कर दिखाया है। दो सौ फीट बाइपास के शैल्बी हॉस्टिपल के डॉक्टर्स ने जहां एक ऐसे मरीज की वॉल्व रिप्लेसमेंट की दुबारा सर्जरी की गयी। जिसका हृदय बाएं नहीं दाहिनी ओर था। हृदय की बनावट की दिशा भी प्राकृतिक स्थिति से उलट थी, जिससे डॉक्टर्स के लिए यह सर्जरी काफी मुश्किल हो गयी थी।

दाईं ओर विकसित हुआ दिल
जयपुर निवासी 40 वर्षीय महिला को सांस लेने में परेशानी ओर थकावट महसूस हो रही थी कई अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी उन्हें फायदा नही हुआ तो उन्होंने शैल्बी हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. ललितादित्य मलिक से संपर्क किया। डॉक्टर की गई जांच में सामने आया कि उनके हृदय का एक वॉल्व सिकुड़ गया है, जिससे उनके शरीर में रक्त संचार प्रभावित हो रहा है।

डॉ ललित मलिक ने बताया कि इस केस में खास बात यह थी कि मरीज को डेक्स्ट्रो कार्डिया विद साइटस इनवर्सस नाम की एक दुर्लभ बीमारी थी जो पचास हजार से एक लाख लोगों में सेे किसी एक हो होती है। इस बीमारी में मरीज का हृदय गर्भ में ही विपरीत जगह विकसित हो जाता है। यदि हृदय सामान्य रूप से कार्य करे तो इससे मरीज का कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन उनके वॉल्व में खराबी होने पर उनकी सर्जरी करना बहुत जरूरी था और दाईं ओर स्थित हृदय की विपरीत बनावट के कारण सर्जरी बहुत जटिल थी।

पहले भी हो चुकी थी हार्ट सर्जरी
मरीज के सिकुड़े वॉल्व को बदलने के लिए तुरंत रिप्लेसमेंट सर्जरी की आवश्यकता थी लेकिन एक बड़ी चुनौती यह भी थी कि करीब 20 साल पहले भी मरीज की क्लोज माइट्रल वॉल्वोटॉमी हार्ट सर्जरी की जा चुकी थी। एक हार्ट सर्जरी होने के बाद फिर से सर्जरी करने में जोखित रहता है। वहीं हृदय की विपरीत स्थिति के कारण दुबारा सर्जरी और मुश्किल हो गई थी। ऐसे में डॉ. ललित मलिक ने अपनी हार्ट टीम सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियालॉजिस्ट डॉ. राशिद अहमद, डॉ. अमित गुप्ता ने ऑपरेशन में अथवा ऑपरेशन के बाद आने वाली जटिलताओं के बारे मेें विचार विमर्श किया।

ऑपरेशन 6 घंटे चला, वॉल्व पूर्ण रूप से खराब हो चुका था, जिसे सफलता पूर्व क बदल दिया गया। कार्डियक आईसीयू में मरीज को जल्दी ही होश आ गया और उसने जल्दी ही खाना पीना चालू कर दिया। डॉ. मलिक ने बताया कि यह एक चुनौती भरी सर्जरी थी। हमेशा हार्ट सर्जरी ऑपरेशन के दौरान दाहिनी तरफ रह कर करना पड़ता है लेकिन इस बीमारी में बाई तरफ से सर्जरी करनी पड़ी। सीनियर कार्डियक एनेस्थेटिक डॉ. नवनीत गर्ग की सहायता से यह सर्जरी सफल रही। शैल्बी के सीएओ डॉ. विकास मुखीजा ने कहा कि तकनीकी रूप से ये सर्जरी अत्यंत जटिल है, परंतु शैल्बी के कार्डियक सर्जरी टीम ने डॉ. ललित मलिक के नेतृत्व में बहुत अच्छा काम किया। इस अवसर पर शैल्बी के सीओओ डॉ. पंकज धमीजा ने समस्त हृदय रोग विज्ञान की टीम का अभिवादन करते हुआ कहा कि शैल्बी अस्पताल इसी प्रकार निरंतर रूप से समाज को सर्वोच स्तर की चिकित्सा सुविधा प्रदान करता रहेगा।
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