सस्ते तेल आयात से घरेलू तेल उद्योग खतरें में
जयपुरPublished: Jul 21, 2020 08:51:40 pm
देश में विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों ( edible oils ) का आयात ( oil imports ) बढऩे से मंगलवार को देशी तेल तिलहनों ( Domestic oil industry ) के भाव दबाव में बने रहे। दूसरी ओर लॉकडाउन ( lockdown ) में ढील के बाद होटलों और छोटे खानपान की दुकानों की मांग बढऩे से पाम तेल ( palm oil ) कीमतों में सुधार रहा। तेल उद्योग के कारोबारी सूत्रों ने कहा कि संभवत:पहली बार देखने को मिल रहा है मंडियों में पाम तेल दो अलग-अलग भाव पर बिक रहे है
सस्ते तेल आयात से घरेलू तेल उद्योग खतरें में
जयपुर। देश में विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों का आयात बढऩे से मंगलवार को देशी तेल तिलहनों के भाव दबाव में बने रहे। दूसरी ओर लॉकडाउन में ढील के बाद होटलों और छोटे खानपान की दुकानों की मांग बढऩे से पाम तेल कीमतों में सुधार रहा। तेल उद्योग के कारोबारी सूत्रों ने कहा कि संभवत:पहली बार देखने को मिल रहा है मंडियों में पाम तेल दो अलग-अलग भाव पर बिक रहे हैं और इन कारोबारियों को आशंका है कि पाम तेल के साथ पामोलीन सम्मिश्रित करके बेचे जाने की वजह से पाम तेल के दो अलग-अलग भाव है। सस्ते पाम तेल की आयात बढऩे से सोयाबीन डीगम की भी मांग कमजोर रही और सोयाबीन तेल कीमतों में हानि दर्ज हुई। देश में पामोलीन के आयात पर रोक है। विदेशों में पामोलीन का भारी स्टॉक जमा है और आगे भी उत्पादन में वृद्धि के आसार हैं तथा इस बात की संभावना हो सकती है और मलेशिया व इंडोनेशिया में आगामी बम्पर फसल को संभालने के लिए विदेशी कंपनियां अपने पामोलीन के स्टॉक को खपाने का प्रयास कर रही हों। सूत्रों ने बताया कि संभावित रूप से सम्मिश्रण वाले कच्चा पाम तेल (सीपीओ) का भाव मंडियों में अधिक यानी 7360 रुपए क्विंटल तथा बगैर मिलावट वाले सीपीओ का भाव 7290 रुपए क्विंटल है। सरकार को इस बात की जांच करानी चाहिए और प्रतिबंधित पामोलीन मिश्रित सीपीओ के आयातक कंपनियों का लाइसेंस रद्द करना चाहिए। कारोबारी सूत्रों ने कहा कि इस सस्ते आयात के कारण सोयाबीन डीगम की मांग भी प्रभावित हुई है। इसके अलावा वायदा कारोबार में भी सोयाबीन के भाव टूटने से यहां सोयाबीन दिल्ली, इंदौर कीमतों तथा सोयाबीन दाना (तिलहन) में मामूली गिरावट दर्ज हुई। इसके अलावा सस्ते तेलों का आयात बढऩे से तिलहन फसल सरसों दाना और मूंगफली दाना के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि स्थानीय मांग होने के बावजूद सस्ते आयात के बढऩे के कारण वायदा और हाजिर मंडियों में सूरजमुखी, सोयाबीन दाना जैसे तिलहनों के भाव लागत से भी कम है, जिससे तिलहन उत्पादक किसान, तेल उद्योग और आम उपभोक्ता परेशान हैं।