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स्वच्छता सर्वेक्षण से ठीक पहले भुगतान के लिए दबाव की राजनीति

locationजयपुरPublished: Jan 06, 2018 11:48:38 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

राजधानी में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने से ठीक पहले अनुबंधित कंपनी बीवीजी इंडिया द्वारा घर—घर कचरा संग्रहण प्रोजेक्ट को ठप करने की चेतावनी।

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कंपनी ने स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले दबाव बनाने के लिए ऐसा किया है, जिससे की उसे बकाया भुगतान राशि मिल सके। इसमें कुछ रसूखदार जनप्रतिनिधि भी शामिल होने की चर्चा है, जिनका कंपनी को पूरी तरह समर्थन मिल रहा है। जबकि, निगम अफसरों ने कंपनी के खिलाफ अनुबंध शर्त की धज्जियां उड़ाने का पूरा चिठ्ठा तैयार कर रखा है। ऐसे में रसूखदार जनप्रतिनिधि तो कंपनी को भुगतान दिलवाना चाह रहे हैं, लेकिन नौकरशाहों की सक्रियता उसमें आड़े आ रही है। हालांकि, कंपनी का दावा है कि निगम अफसरों के कारण ऐसे हालात पनपे हैं। भुगतान नहीं होने के कारण निर्धारित संसाधन नहीं लगा पा रहे हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 16 जनवरी से शुरू होगा। कंपनी करीब 33 करोड़ रुपए के बकाया बिलों का भुगतान मांग रही है।
निगम के नोटिस में कंपनी ने को दिखाया आइना
—पर्याप्त मात्रा में संसाधन व श्रमिक नहीं लगाना। एक वार्ड के संसाधन—श्रमिकों को तोड़कर दूसरे वार्ड में अधूरा काम शुरू करना। इससे जगह—जगह कचरे के ढेर व गंदगी हो रही है। (अनुबंध में सेक्शन पांच की क्लॉज संख्या 23 का उल्लंघन)
—ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन करते हुए चारदीवारी में खुले तौर पर ट्रेक्टरों के माध्यम से कचरा डिपो से कचरा एकत्रित करना। चारदीवारी के वार्डों में बंद वाहनों, टीपर, मिनी डोर नहीं लगाया गया। (अनुबंध में सेक्शन पांच की क्लॉज संख्या 10.1 का उल्लंघन)
—तीन माह बाद भी सम्पूर्ण मकान—दुकान से कचरा एकत्रित नहीं किया जाना। (अनुबंध में सेक्शन पांच की क्लॉज संख्या 8.2 का उल्लंघन)
—घर—घर कचरा संग्रहण, पृथक्करण एवं परिवहन के लिए कार्यरत श्रमिक, सुपरवाइजरों को पहचान पत्र जारी नहीं करना। न ही ईएसआई, पीएफ की सुविधा उपलब्ध करवाना। (अनुबंध में सेक्शन पांच की क्लॉज संख्या 21 का उल्लंघन)
—वाहनों के रजिस्ट्रेशन नम्बर की सूची 4 अक्टूबर, 2017 तक उपलब्ध नहीं कराना। (अनुबंध में सेक्शन पांच की क्लॉज संख्या 17.4 का उल्लंघन)
—सभी संसाधनों पर वीटीएस ट्रेकिंग सिस्टम 4 अक्टूबर तक नहीं लगाना। ओपन कचरा डिपो से कचरा परिवहन करना। (अनुबंध में सेक्शन पांच की क्लॉज संख्या 10.2 का उल्लंघन)
(तेरह दिसम्बर को जारी नोटिस के अनुसार)

कंपनी का यह तर्क…
—अभी तक 33 करोड़ रुपए भुगतान के बिल दिए गए लेकिन 7.61 करोड़ रुपए का ही भुगतान किया गया। मनमानी करते हुए भुगतान रोका गया।
—एस्क्रो अकाउंट नहीं खोला, जिसमें निगम 47 करोड़ रुपए जमा करात। भुगतान प्रक्रिया भी इसी के जरिए होनी है।
—स्वतंत्र इंजीनियर की नियुक्ति नहीं होने से काम का आकलन और भुगतान प्रक्रिया अटकी।
— कम से कम 45 आरसी वाहन होने जरूरी, जिससे कचरा लिफ्टिंग—परिवहन आसानी हो लेकिन अभी 10 ही। कंपनी का तर्क भुगतान नहीं होने के कारण खरीद नहीं पा रहे।
—91 वाडों में 8 से 10 कंचरा ट्रांसफर स्टेशन के लिए जगह नहीं दी गई। जबकि, एमएसडब्ल्यू—2016 के तहत जगह देना आवश्यक।

…फैक्ट फाइल…
—91 वार्ड हैं शहर में
—91 वार्ड में कचरा संग्रहण शुरू करने का दावा कंपनी का
—84 वार्ड में काम शुरू होना मान रहा निगम
—1600 मैट्रिक टन कचरा कंपनी ले जा रही
—355 मैट्रिक टन निगम के वाहनों से उठाया जा रहा
—1210 कचरा संग्रहण कंटेनर रखे गए थे शहर में निगम द्वारा
—750 कंटेनर (कचरा पात्र) हटा लिए गए अभी तक
—595 कचरा डिपो स्थल शामिल हैं जहां से कंटेनर हटाए गए

—अभी पचास फीसदी भुगतान कर रहे हैं। जारी नोटिस के आधार पर आगे के भुगतान की प्रक्रिया होगी। इसके लिए स्वतंत्र इंजीनियर भी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी की तरफ से काम बंद करने का नोटिस नहीं मिला है। —रवि जैन, आयुक्त, नगर निगम
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