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Rajasthan Election 2018: Video- नेता जीतकर जयपुर-दिल्ली चले जाते हैं, फिर कोई सुध नहीं लेता

locationजयपुरPublished: Nov 28, 2018 04:23:58 pm

Submitted by:

dinesh

पत्रिका समूह के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी की पश्चिमी राजस्थान यात्रा…

Rajasthan Election 2018
पश्चिमी राजस्थान के गांवों से
जनप्रतिनिधि चुनाव के बाद जीतकर जयपुर-दिल्ली चले जाते हैं…। सिर्फ चुनाव के समय नजर आते हैं। ऐसे में उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। यह दर्द है सरहदी बाड़मेर जिले के देरासर के ग्रामीणों का। पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने यहां ग्रामीणों की नब्ज टटोली तो उनका दर्द फूट पड़ा।
कोठारी ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में यात्रा का आगाज जोधपुर से किया। जोधपुर से वे पश्चिमी राजस्थान की चुनावी यात्रा पर निकल पड़े। पश्चिमी राजस्थान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान कोठारी ने जोधपुर, बाड़मेर जिले के कल्याणपुर, पचपदरा, बालोतरा, बायतु, कवास, देरासर, रामसर, गडरा रोड, मुनाबाव, हरसाणी, शिव, जैसलमेर, पोकरण, रामदेवरा और फलोदी का दौरा किया। यहां उन्होंने भाजपा, कांग्रेस समेत कुछ प्रमुख प्रत्याशियों, पार्टी और कई समाजों के पदाधिकारियों, प्रबुद्धजन, किसानों, व्यापारियों से चुनाव के मुद्दों पर मंथन किया। गांव की समस्याओं और चुनावी मुद्दों पर चर्चा की। ग्रामीणों ने पानी, कृषि और पशुधन संबंधी समस्याओं का जिक्र किया।
नेता और ताकतवर ही पाते मुआवजा
सरकारी योजनाओं की विसंगति इस रूप में उभर कर आई कि जहां रामसर के लोग बोले कि उन्हें कुछ योजनाओं का लाभ मिल रहा है, वहीं देरासर के मतदाता सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने से खफा नजर आए। शिव में किसानों ने बताया कि केवल नेताओं और प्रभावशाली लोगों के परिवारों को ही फसल मुआवजे और कृषि योजनाओं का लाभ मिलता है। रामसर में सोनिया चैनल को कोठारी ने वाटर हार्वेस्टिंग की मिसाल बताया।
किसानों में गुस्सा, बिजली का संकट
परमाणु नगरी पोकरण में किसानों का गुस्सा साफ नजर आया। किसान बोले- कम पानी में अधिक उपज की बूंद-बूंद सिंचाई योजना में अनुदान कम करने से क्षेत्र में एक भी व्यक्ति ने आवेदन नहीं किया है। खेतों में 6 घंटे बिजली नहीं मिल रही। अन्य कृषि योजनाओं में भी अनुदान घटाने से क्षेत्र के किसानों का खेती से मोहभंग होने लगा है।
ऊंट को राज्य पशु बनाया, समस्याएं बढ़ी
प्रदेश में सबसे अधिक पशुधन वाले बाड़मेर जिले में ग्रामीणों ने बताया कि जिस धन की बदौलत हम इस दुर्गम इलाके में अपनी जिंदगी की डोर हांक रहे थे, वहां सरकारी उदासीनता व नीतियों से अब उन्हें पशुओं से ही समस्या होने लगी हैं।
बाड़मेर से मुनाबाव ट्रेन शुरू करने की मांग

देरासर में ग्रामीणों ने बताया कि इस बार औसत से भी कम बारिश की वजह से अकाल जैसे हालात हैं। गौशाला में गाय रखने के लिए 11 हजार मांगते हैं। खेत से गाय निकाल दो तो मुश्किल हो जाती है। पशुओं के लिए चारे पानी की भी समस्या हो गई है। चारा डिपो भी नहीं खोले गए। रामसर में लोगों ने कहा कि ऊंट को राज्य पशु घोषित करने से परेशानियां आ रही हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। अकाल राहत कार्य जल्द शुरू किए जाने चाहिए। गडरा रोड में ग्रामीणों ने बताया कि बाड़मेर से मुनाबाव तक पहले शाम को ट्रेन चलती थी, जिसे बाद में रेलवे ने बंद कर दिया। इसे पुन: शुरू करने की मांग की। कोठारी ने मुनाबाव में बीएसएफ के जवानों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया।
पत्रिका की बदौलत जी उठा था कवास
बालोतरा में किसानों, उद्यमियों ने बालोतरा को जिला नहीं बनाने से आ रही समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कवास के लोगों ने 2006 की बाढ़ में पत्रिका के जीवन कलश अभियान की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि एक अखबार किस तरह लोगों की मदद के लिए खड़ा होता है, पत्रिका उसकी मिसाल है। लोगों ने भावुक होकर कहा कि इसे पीढिय़ां याद करेंगी। लोगों ने कहा कि पत्रिका की मदद से बाढ़ से घिरा कवास उस कठिन दौर में जी उठा था।
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