तीन श्रेणियों में बांटा केंद्रों को
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि ड्राय रन के लिए प्रत्येक जिले में वैक्सीन सेंटर की तीन श्रेणियां बनाकर टीकाकरण का मॉक ड्रिल किया गया है। प्रथम श्रेणी में मेडिकल कॉलेज व जिला चिकित्सालय, द्वितीय श्रेणी में सीएचसी, पीएचसी व अरबन डिस्पेंसरी और तृतीय श्रेणी में निजी चिकित्सा संस्थानों पर कुल 102 वैक्सीन सेंटर बनाए गए। इन प्रत्येक वैक्सीन सेंटर पर कुल 25 वैक्सीनेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि ड्राय रन के लिए प्रत्येक जिले में वैक्सीन सेंटर की तीन श्रेणियां बनाकर टीकाकरण का मॉक ड्रिल किया गया है। प्रथम श्रेणी में मेडिकल कॉलेज व जिला चिकित्सालय, द्वितीय श्रेणी में सीएचसी, पीएचसी व अरबन डिस्पेंसरी और तृतीय श्रेणी में निजी चिकित्सा संस्थानों पर कुल 102 वैक्सीन सेंटर बनाए गए। इन प्रत्येक वैक्सीन सेंटर पर कुल 25 वैक्सीनेशन का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
चिकित्सा सचिव ने किया निरीक्षण
चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन ने जयपुर के वैक्सीन सेंटर्स पर जाकर ड्राय रन गतिविधियों का निरीक्षण किया। वहीं सभी जिलों में जिला कलक्टर के नेतृत्व में संयुक्त निदेशक चिकित्सा, सीएमएचओ, आरसीएचओ और अन्य जिला अधिकारियों ने कोविड-109 वैक्सीनेषन गतिविधियों की मॉनीटरिंग कर आवश्यक निर्देश दिए गए।
चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन ने जयपुर के वैक्सीन सेंटर्स पर जाकर ड्राय रन गतिविधियों का निरीक्षण किया। वहीं सभी जिलों में जिला कलक्टर के नेतृत्व में संयुक्त निदेशक चिकित्सा, सीएमएचओ, आरसीएचओ और अन्य जिला अधिकारियों ने कोविड-109 वैक्सीनेषन गतिविधियों की मॉनीटरिंग कर आवश्यक निर्देश दिए गए।
यूं हुई ड्राई रन की प्रेक्टिस
सबसे पहले लाभार्थी के लिए टीकाकरण कक्ष व निगरानी कक्ष का मॉडल तैयार कर कोविड वैक्सीन लगाने का रिहर्सल किया गया। इस दौरान लाभार्थी के पहचान दस्तावेजों का वैक्सीनेशन आफिसर द्वारा सत्यापन कर प्रवेश दिया गया। मोबाइल में कोविन साफ्टवेयर पर लाभार्थी को प्रमाणित कर वैक्सीनेशन के लिए टीकाकरण कक्ष में भेजा गया, जहां वैक्सीनेटर ऑफिसर द्वारा टीकाकरण की प्रक्रिया (डेमो) को पूर्ण किया गया और कोविन सॉफ्टवेयर में लाभार्थी के टीके लगाये जाने की एन्ट्री की गई। उन्होंने बताया कि लाभार्थी को 30 मिनिट के लिए निगरानी कक्ष में वैक्सीनेशन आफिसर के द्वारा निगरानी में रखा गया। इस ड्राई रन की प्रक्रिया के दौरान एक लाभार्थी को टीका लगाने में लगने वाले समय एवं कोविन सॉफ्टवेयर में एन्ट्री करने में लगे समय का आकलन व साफ्टवेयर के संचालन की प्रक्रिया को जांचा।
सबसे पहले लाभार्थी के लिए टीकाकरण कक्ष व निगरानी कक्ष का मॉडल तैयार कर कोविड वैक्सीन लगाने का रिहर्सल किया गया। इस दौरान लाभार्थी के पहचान दस्तावेजों का वैक्सीनेशन आफिसर द्वारा सत्यापन कर प्रवेश दिया गया। मोबाइल में कोविन साफ्टवेयर पर लाभार्थी को प्रमाणित कर वैक्सीनेशन के लिए टीकाकरण कक्ष में भेजा गया, जहां वैक्सीनेटर ऑफिसर द्वारा टीकाकरण की प्रक्रिया (डेमो) को पूर्ण किया गया और कोविन सॉफ्टवेयर में लाभार्थी के टीके लगाये जाने की एन्ट्री की गई। उन्होंने बताया कि लाभार्थी को 30 मिनिट के लिए निगरानी कक्ष में वैक्सीनेशन आफिसर के द्वारा निगरानी में रखा गया। इस ड्राई रन की प्रक्रिया के दौरान एक लाभार्थी को टीका लगाने में लगने वाले समय एवं कोविन सॉफ्टवेयर में एन्ट्री करने में लगे समय का आकलन व साफ्टवेयर के संचालन की प्रक्रिया को जांचा।
जयपुर में यहां हुआ ड्राय रन
जयपुर में छह सेंटर पर कोरोना वैक्सीनेशन केंद्र बनाकर यह ड्राय रन किया गया। जिला कांवटिया अस्पताल, जयपुरिया अस्पताल, जगतपुरा यूपीएचसी, वाटिका पीएचसी, सीएचसी जामडोली और प्राइवेट अस्पताल सीकेएस पर यह मॉक ड्रिल किया गया। सभी केंद्रों पर वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में यह मॉक ड्रिल किया गया।
जयपुर में छह सेंटर पर कोरोना वैक्सीनेशन केंद्र बनाकर यह ड्राय रन किया गया। जिला कांवटिया अस्पताल, जयपुरिया अस्पताल, जगतपुरा यूपीएचसी, वाटिका पीएचसी, सीएचसी जामडोली और प्राइवेट अस्पताल सीकेएस पर यह मॉक ड्रिल किया गया। सभी केंद्रों पर वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में यह मॉक ड्रिल किया गया।