सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में 'इंद्रदेव' बने विलेन, नालें हुए ओवरफ्लो, मिट्टी बही
सरकार 15 अगस्त को द्रव्यवती नदी परियोजना का फीता काटने को तैयार, प्रोजेक्ट का आधा काम अभी बाकी

जयपुर। चुनावी साल में राज्य सरकार 15 अगस्त को 1,800 करोड़ के द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट का फीता काटने की तैयारी में है। राज्य सरकार की ओर से विधानसभा चुनाव से पहले द्रव्यवती नदी परियोजना को उद्घाटन वाली सूची में शामिल भी कर लिया गया है। परियोजना को जल्द से जल्द से पूरा करने के लिए जेडीए से लेकर सीएमओ तक के आला अधिकारी लगातार टाटा कंपनी पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन बरसात सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रही है। नालों के पानी ने बढ़ाई मुश्किल शहर में हुई बारिश के कारण द्रव्यवती नदी के नालों में पानी की आवक बढ़ गई है। इससे द्रव्यवती नदी का काम थम सा गया है। बारिश के कारण मिट्टी गीली हो गई है। इससे नदी के पाट बनाने और सीमेंट का निर्माण कार्य बाधित हो गया है। टाटा कंपनी तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक प्रोजेक्ट का आधा काम ही कर पाई है। पहले चरण में सुशीलपुरा पुलिया से ढूंढ़ नदी तक 25 किमी लम्बे पहले चरण में करीब 60 फीसदी काम हो पाया है, तो सुशीलपुरा पुलिया से नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी में बसे उद्गम स्थल जैसल्या गांव तक 22 किलोमीटर लम्बाई के दूसरे चरण में तो 40 प्रतिशत काम ही हो पाया है। प्रोजेक्ट के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनाने के कारण नदी में गंदे नालों का पानी लगातार आ रहा है। इसके कारण काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। बारिश के कारण पानी का फ्लो बढ़ गया है, जिससे मुश्किलें बढ़ गई हैं।
एक भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बना
गौरतलब है कि 47 किमी लंबाई में बन रही द्रव्यवती नदी पर बस्सी—सीतारामपुरा, देवरी—गोपालपुरा बायपास, तरुछाया नगरी रीको, बम्बाला पुलिया और गोनेर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने हैं, लेकिन इनमें से एक का भी काम पूरा नहीं हुआ है। इसके कारण प्रदूषित और गंदा पानी नई बनी द्रव्यवती नदी में बहाया जा रहा है। इससे नया बना स्ट्रक्चर काला पडऩे लगा है और सीमेंट खराब हो रही है। इसी तरह नाहरगढ़ की पहाड़ी से ढूंढ़ नदी तक द्रव्यवती नदी में 86 चैकडेम बनने हैं। इनमें से भी आधे चैकडेम ही बन पाए हैं। उनमें से ज्यादातर मानसूनी बरसात में क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अब उनकी रिपेयर की जा रही है।
नजर आने लगी हरियाली
बरसात के कारण द्रव्यवती नदी निर्माण संबंधी कार्य बाधित हो रहे हैं, लेकिन नदी के किनारे हरियाली विकसित करने का काम शुरू कर दिया गया है। परियोजना क्षेत्र में पौधे रोपे जा रहे हैं और नदी के वॉकिंग ट्रेक पर घास लगाई जा रही है। इसके कारण कुछ जगहों पर घास की हरियाली दिखने लगी है।
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