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दवा नकली, कंटेंट असली ! …एक हजार करोड़ के धंधे की पहचान मुश्किल

locationजयपुरPublished: May 20, 2023 12:53:16 pm

Submitted by:

Vikas Jain

-भारी डिस्काउंटेड दवाओं पर औषधि नियंत्रण संगठन की नजर-जांच प्रयोगशाला भी नहीं पकड़ पाती अमानक दवाइयां-अधिक डिस्काउंट और दुष्प्रभाव पर रहें अलर्ट

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विकास जैन

जयपुर. राजधानी और कई जिलों से करीब 22 लाख के नकली दवा कारोबार का खुलासा होने के बीच नकली दवा की पहचान करना जांच प्रयोगशाला के लिए भी आसान नहीं है। नकली दवा का धंधा करने वाले असली के तमाम कंटेंट इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे जांच प्रयोगशाला में दवा अमानक के तौर पर सामने ही नहीं आ रही। औषधि नियंत्रण संगठन के अधिकारी नकली दवाओं के इस नए ट्रेंड से हैरान हैं और अब ऐसी दवाओं की पहचान के लिए दवा की असली निर्माता कंपनी पर ही निर्भर हैं। नकली दवा का इस तरह का कारोबार नामी दवा कंपनियों के नाम पर भी हो रहा है।
जानकारी के अनुसार नकली और अमानक दवा का कारोबार कुल कारोबार का 5.5 फीसदी माना जाता है। यदि इसे सही माना जाए तो राजस्थान में 20 हजार करोड़ के सालाना दवा कारोबार में से करीब एक हजार करोड़ का दवा कारोबार नकली और अमानक हैं। कई नामी कंपनियों के ब्रांड पर बाजार में 25 से 50 प्रतिशत तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। जो इन दवाओं के मार्जिन से भी करीब दोगुना है। आजकल बाजार में दवा का अधिकांश कच्चा माल उपलब्ध है। नकली दवा निर्माता इस माल को बाजार से खरीदकर आसानी से दवा का निर्माण कर रहे हैं।
अधिक डिस्काउंट वाली दवाओं के लेते नमूने

नकली दवाइयां पहचानने के लिए लैब की बजाय संगठन भी अधिक डिस्काउंट वाली दवा को आधार बनाता है। इन दवाइयों के सैंपल लेकर उनमें समान घटक पाए जाने पर मूल निर्माता से उस दवा के असली या नकली होने की पहचान करवाई जाती है।
धोखाधड़ी और जानलेवा खिलवाड़

नकली दवा निर्माता भले ही असली के तमाम कंटेंट दवा में डाल रहे हों, लेकिन नकली निर्माण की खपत बाजार में होने पर उसके दुष्प्रभाव की जिम्मेदारी असल निर्माता कंपनी पर आएगी। ऐसे में इस तरह की दवा की बिक्री धोखाधड़ी के साथ मरीज की जान से खिलवाड़ भी है।
आप यह रखें ध्यान

-किसी बड़े ब्रांड की दवा में यदि अधिक डिस्कांउट उपलब्ध होता है तो सतर्क रहें।
-दवा लेने पर दुष्प्रभाव सामने आएं तो अलर्ट रहें।
– किसी भी तरह की शंका होने पर संगठन को सूचना दें।
अमानक दवा की जांच तो आसान होती है, लेकिन नकली की पहचान मूल कंपनी की मदद से ही संभव हो पाती है। कई नकली निर्माता किसी नामी ब्रांड का फायदा उठाने के लिए उसके नाम का इस्तेमाल कर उसी गुणवत्ता की दवाइयां बना देते हैं। जिससे उस कंपनी को तो नुकसान होता ही है, साथ ही दवा की गुणवत्ता कमजोर होने पर नकली दवा निर्माता बच निकलता है।
अजय फाटक, औषधि नियंत्रक, राजस्थान.

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