ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि दुर्गाष्टमी पर दुर्गा पूजा का त्वरित फल मिलता है। इस दिन सुबह स्नानादि कर सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद दुर्गाजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। पूजास्थल पर गंगाजल या नर्मदा जल छिड़के। इसके बाद लकड़ी के पाट के ऊपर लाल वस्त्र बिछाएं और मां दुर्गा के विग्रह, प्रतिमा या फोटो को उस पर रख दें। अब माता की विधिपूर्वक पूजा करें, दुर्गाजी को रोली, अक्षत, सिंदूर लगाएं और लाल पुष्प चढ़ाएं।
भोग के रूप में माता को मौसमी फल और मिष्ठान्न अर्पित करें। धूप लगाएं और घी का दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें। दुर्गासप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं। इसलिए संभव हो तो मासिक दुर्गाष्टमी पर दुर्गासप्तशती का पाठ जरूर करें। पूजा-पाठ पूर्ण होने के बाद माता की विधिपूर्वक आरती करें। इसके बाद मां के समक्ष अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें और प्रसाद वितरित कर दें. संभव हो तो किसी कन्या को भोजन कराएं या जरूरतमंदों को दान दें।