scriptडच या बेल्जियम शेफर्ड, किसके हाथ होगा जेल का पहरा | Dutch or Belgian Shepherd, who will be guarded by prison | Patrika News

डच या बेल्जियम शेफर्ड, किसके हाथ होगा जेल का पहरा

locationजयपुरPublished: Dec 16, 2019 12:29:00 am

Submitted by:

Abrar Ahmad

-मादक पदार्थ, मोबाइल और हथियार पकडऩे के लिए तैनात होंगे श्वान-4 श्वान के लिए 4 लाख का बजट स्वीकृत

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जयपुर. करोड़ों रुपए के उपकरण और मैन पावर लगाने के बाद भी राजस्थान की जेलों में मादक पदार्थ, मोबाइल और हथियार मिलने का सिलसिला जारी है। अब जेल मुख्यालय ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और मैन पावर की जगह विदेशी नस्ल के श्वान पर दाव लगाया है। जेल परिसर में प्रवेश के समय बंदी, कैदी और जेल कर्मियों को इन श्वानों की जांच पड़ताल के बाद अंदर जाने दिया जाएगा। यहां तक कि जेल परिसर में छिपे मोबाइल, मादक पदार्थ और हथियार को तलाशने के लिए अचानक श्वान की मदद से जेल बैरकों में जांच की जाएगी। इनसे जेल परिसर में बाहरी क्षेत्र में रात्रि गश्त भी करवाई जा सकेगी। हालांकि पहले दौर में 4 श्वान खरीदे जाएंगे। इसके लिए जेल मुख्यालय ने सुरक्षा में तैनात आरएसी को 4 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं। अब डच शेफर्ड या बेल्जियम शेफर्ड में कौनसी प्रजाति का श्वान खरीदा जाए, इस पर विचार विमर्श किया जा रहा है।

शिशु खरीदकर दिलाएंगे प्रशिक्षण

जेल मुख्यालय ने 50-50 हजार में चार शिशु खरीदने और 50-50 हजार रुपए उनको सूंघकर बताने का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। बेंगलूरुके श्वान केन्द्र से खरीदकर वहां ही प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। शुरुआत में दो श्वान जयपुर केन्द्रीय कारागार और एक-एक जोधपुर और उदयपुर कारागार में रखे जाएंगे। इनसे अच्छा परिणाम मिलने पर अन्य जेलों के लिए भी खरीदने का प्रस्ताव बनाया जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान पुलिस की सीआइडी ने इसी श्वान केन्द्र से बेल्जियम शेफर्ड खरीदे थे, जिनकी मदद से कई वारदात का खुलासा भी हो सका है।
मोबाइल और मादक पदार्थ मिलना आम बात

जेलों में इतनी सुरक्षा और चौकसी के बाद भी मोबाइल और मादक पदार्थ मिलना आम बात हो गई है। जेल में गांजा, अफीम सहित अन्य मादक पदार्थ भी कइ्र बार मिल चुका है। जेल में जेल कर्मियों को भी कथित सामग्री अंदर ले जाते पकड़ा गया है। जबकि मुलाकात में परिजन भी अवैध सामग्री कैदी और बंदी को दे जाते हैं।
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