इसके पीछे ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट में बीसलपुर बांध व जयपुर भी शामिल होने का भी तर्क दिया जा रहा है। जल संसाधन विभाग अधिकारियों का कहना है कि दोनों ही प्रोजेक्ट में जयपुर शामिल है और ईस्टर्न कैनाल परियोजना ज्यादा महत्वपूर्ण है। ऐसे में इसी परियोजना के जरिए जयपुर तक पानी लाने पर काम शुरू होगा। अब केन्द्र सरकार से 37 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट पर पूरी तरह फोकस कर दिया गया है।
दोनों प्रोजेक्ट में यह है विवाद… 1. ब्राहृमणी नदी : मानसून के दौरान ब्राह्मणी नदी में काफी पानी आता रहा है। यह पानी जवाहर सागर बांध व कोटा बैराज होकर चंबल नदी में बह जाता है। इसे बनास नदी से जोड़कर बीसलपुर बांध के जरिए जयपुर, टोंक, अजमेर ले जाना का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। इससे 70 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। इसके डीपीआर तक पर काम शुरू हो चुका है। प्रोजेक्ट लागत 6 हजार करोड़ रुपए आंकी गई। इसमें 53 किलोमीटर लम्बा पहाड़ी इलाका भी है, जहां टनल बनानी होगी।
यह है विवाद : ब्राहृमणी नदी से आने वाला पानी मध्यप्रदेश में भी पहुंचता है। राजस्था व मध्यप्रदेश सरकार के बीच तय अनुबंध के अनुसार राजस्थान उसके हिस्से के 10 प्रतिशत कैचमेंट क्षेत्र का उपयोग कर सकता हैं लेकिन एमपी सरकार ने इस पर भी आपत्ति जता दी। जबकि, राजस्थान सरकार लगातार अनुबंध की पालना का हवाला दे रहा है।
2. ईस्टर्न राजस्थान कैनाल : मानसून के दौरान मध्यप्रदेश से आने वाली कुन्नू, कुल, पार्वती, कालीसिंध, मेज नदी बेसिनों में आने वाले अतिरिक्त पानी को बनास, मोरेल, बाणगंगा, पार्वती, कालीसिंध व गंभीर नदी बेसिनों में पहुंचाया जाना है। इसके जरिए जयपुर के अलावा झालावाड़, बांरा, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर व धौलपुर तक अतिरिक्त पेयजल पहुंचेगा। जयपुर के रामगढ़ सहित अन्य बांध को पुनर्जीवित करने का प्लान है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 37 हजार करोड़ रुपए की इस परियोजना को नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा दिलाना चाह रहे हैं।
यह है विवाद : राजस्थान सरकार कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध नदी से 50 प्रतिशत डावर्जन पर पानी लेना चाह रही है। जबकि, मध्यप्रदेश सरकार ने 75 प्रतिशत पर ले जाने के लिए कह दिया। ऐसा हुआ तो राजस्थान में अपेक्षित पानी की मात्रा करीब आधी हो जाएगी। जल संसाधन विभाग ने इस आपत्ति पर सवाल उठाते हुए केन्द्रीय जल आयोग से इसे खारिज करने के लिए कह चुका है।
अब इन पर दरोमदार : केन्द्रीय जल आयोग स्तर पर इन प्रोजेक्ट्स का भविष्य तय होगा। हालांकि, जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी इसे सुलझाने में जुटे हैं। इसके लिए मंत्रालय के संबंधित अफसरों को भी निर्देश दिए गए हैं।
-दोनों ही प्रोजेक्ट में जयपुर तक पानी लाना है। ऐसे में अतिरिक्त आर्थिक भार कोई औचित्य नहीं है। पानी बंटवारे से जुड़ा मामला केन्द्रीय जल आयोग के पास लंबित है। इसके लिए अगले माह भोपाल या दिल्ली में बैठक होगी। कोशिश कर रहे हैं कि ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट स्वीकृत हो जाए। -नवीन महाजन, शासन सचिव, जल संसाधन विभाग