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शहर में शादियों में इको-फ्रेण्डली निमन्त्रण का ट्रेंड ज़ोरो पर

locationजयपुरPublished: Apr 26, 2018 01:27:47 pm

Submitted by:

Priyanka Yadav

शादी में अब नो कार्ड, मैसेज से भेज रहे निमन्त्रण

jaipur news
जयपुर . शादियों की धूम जोरों पर हैं, जिनके घरों में शादियां हैं, वहां की रौनक और चमक-दमक देखते ही बनती हैं। लेकिन इको-फ्रेण्डली टाइम में लोगों में शादी के कार्ड के प्रति एक पॉजीटिव एटीट्यूड देखा गया है यानि नो कार्ड, ओनली वाट्सअप या फोन। शहर में कहीं लोग सिर्फ चांदी का एक कार्ड छपवाकर समधी को न्यौता दे रहे हैं तो कहीं गिनती के ही कार्ड बांटकर फोन कर शादी में बुला रहे हैं। लोगों का मानना है कि आज समय बदल गया है। इस भागती-दौड़ती लाइफ में सभी क्वालिटी वर्क करना चाहते हैं। कार्ड बांटने से समय के साथ साथ पैसा और पैट्रोल की बर्बादी होती हैं। लोग कार्ड का पैसा, बेटी को गिफ्ट देने या शादी के महत्वपूर्ण कार्यों में खर्च करना चाहते हैं।
ननद ने भी नो कार्ड सिस्टम अपनाया

टोंक रोड निवासी सूरज भुखमारिया ने अपनी बेटी नेहा की शादी में नो कार्ड का सिस्टम रखा। उन्होंने सिर्फ एक कार्ड चांदी का अपने समधी के लिए छपवाया। वे बताती हैं कि हमारे सारे रिलेटिव्स दूर-दूर रहते हैं, इसलिए प्रत्येक के घर जाना संभव नहीं था। हमने सभी को ई-कार्ड भेजे। जो पैसा बचा, उसे अन्य कार्यों की बेहतरी के लिए खर्च किया। यही फार्मूला मेरी ननद ने भी अपनाया। उन्होंने भी अपनी बेटी की शादी में वाट्सअप सिस्टम रखा। सभी रिलेटिव्स प्रत्येक कार्य में अपनी हिस्सेदारी निभाते हैं।
कार्ड छपवाने में की 40 प्रतिशत कटौती

टोंक रोड निवासी संगीता कायथवाल के परिवार में हाल ही में चार शादियां हुई हैं। वे बताती हैं कि पिछले महीनों में हमने नया ट्रेंड डवलप किया। सिर्फ बहिन-बेटियों या खास रिश्तेदारों के घर ही कार्ड देने गए, कार्डोंे की संख्या में भी ४० प्रतिशत तक कटौती की। सभी लोगों को तीन या चार फोन किए गए, वाट्सअप और मैसेज किए गए। सभी ने इसे पर्सनल इन्विटेशन माना।
सिर्फ 40 से 50 कार्ड से कर ली शादी

महेश नगर निवासी, बिजनेसमैन मोहन कूलवाल की दोहिती का हाल ही में विवाह हुआ। वे बताते हैं कि हमारे समय में पहले कार्ड छपवाने इतने महंगे नहीं हुआ करते थे और ये स्टेट्स सिंबल भी नहीं थे। इसलिए हमने कम कार्ड छपवाने की पहल की। परिवार बहुत बड़ा था, लेकिन सिर्फ ४० से ५० कार्ड ही छपवाएं, वे भी बेहद करीबी रिश्तेदारों को देने के लिए। सभी लोगों को फोन और वाट्सअप से न्यौता दिया गया। फोन कर प्यार से न्यौता दे दिया जाएं तो वह भी स्वीकार्य माना जाता है। नो कार्ड की पहल बहुत अच्छी है।
सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही भेजे कार्ड

ज्वैलर रामबाबू गुप्ता ने हाल ही अपनी बेटी प्रज्ञा की शादी धूमधाम से की है। तीन दिन का प्रत्येक फंक्शन अलग थीम और डेकोरेशन पर रखा गया। वे बताते हैं कि कार्ड की संख्या १०० ही थी, लेकिन करीब ५०० लोगों की ई-कार्ड भेजे गए। इसका मुख्य कारण था, कार्डों का वितरण। संयुक्त परिवार की तुलना में सिंगल फैमेली में प्रत्येक कार्य एक आदमी को ही करना पड़ता है। इस कारण प्रत्येक व्यक्ति को तीन से चार फोन किए और हर दिन अगले दिन आने का न्यौता दिया गया। सिर्फ रिश्तेदार या व्यापारी वर्ग को ही कार्ड भिजवाए गए, सभी को ई-कार्ड से ही न्यौता दिया गया। लडक़ेवालों के फंक्शन में आने के लिए अपने परिवारजनों को भी फोन से ही न्यौता दिया गया।
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