scriptखपत घटने के बावजूद खाद्य तेल की महंगाई जारी | Edible oil inflation continues despite consumption decrease | Patrika News

खपत घटने के बावजूद खाद्य तेल की महंगाई जारी

locationजयपुरPublished: Jul 25, 2020 12:11:00 pm

कोरोना काल ( Corona period ) में होटल (Hotel ), रेस्तरा ( restaurant ), कैंटीन ( canteen ) का कारोबार कमजोर होने से खाद्य तेल ( food oil ) की मांग में जोरदार गिरावट आई है, बावजूद इसके सभी खाद्य तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। सरसों ( musterd oil ) का तेल एक माह में ही 20 रुपए प्रति किलो तक महंगा हो गया है। इसी प्रकार, सोया तेल, पाम तेल व अन्य खाद्य तेल के दाम में इजाफा हुआ है। तेल कारोबारियों का कहना है कि पाम तेल में आई तेजी के कारण खाने के तमाम तेलों के दाम बढ़े हैं। सरसों के तल का भ

खपत घटने के बावजूद खाद्य तेल की महंगाई जारी

खपत घटने के बावजूद खाद्य तेल की महंगाई जारी

जयपुर। कोरोना काल में होटल, रेस्तरा, कैंटीन का कारोबार कमजोर होने से खाद्य तेल की मांग में जोरदार गिरावट आई है, बावजूद इसके सभी खाद्य तेल की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। सरसों का तेल एक माह में ही 20 रुपए प्रति किलो तक महंगा हो गया है। इसी प्रकार, सोया तेल, पाम तेल व अन्य खाद्य तेल के दाम में इजाफा हुआ है। तेल कारोबारियों का कहना है कि पाम तेल में आई तेजी के कारण खाने के तमाम तेलों के दाम बढ़े हैं। सरसों के तल का भाव जो 130 रुपए प्रति किलो था, जो अब 150 रुपए प्रति किलो हो गया है। रिटेल कारोबारियों का कहना है कि अब तक सरसों तेल में 20 रुपए प्रति किलो और सोया तेल के दाम 15 से 20 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए है।
तेल कारोबारियों के अनुसार पाम तेल के दाम में आई तेजी का असर खाने के तमाम तेल पर पड़ा है। पाम तेल सबसे सस्ता तेल है और जब पाम तेल का दाम बढ़ता है तो सरसों और सोया तेल समेत अन्य खाद्य तेल के दाम में भी वृद्धि होती है। मलेशिया में मजूदरों की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने से पाम तेल के दाम में इजाफा हुआ है। खाने के तेल की 40 फीसदी खपत होरेका सेगमेंट यानी होटल, रेस्तरां और कैंटीन में होती है, जबकि 60 फीसदी घरेलू खपत होती है, लेकिन मौजूदा दौर में होरेका की मांग प्रभावित होने से घरेलू खपत करीब 10 फीसदी बढ़ गई है।
तेल व तिलहन बाजार के जानकार सलिल जैन ने कहा कि इंडोनेशिया और मलेशिया पाम तेल का प्रमुख उत्पादक है और कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन के साथ-साथ रमजान के मौके पर विदेशी मजदूरों के पलायन के कारण पाम का उत्पादन प्रभावित रहा और इस महीने बारिश के कारण पाम के उत्पादन पर असर पडऩे की आशंका बनी हुई है, जिससे इसके दाम में लगातार तेजी बनी हुई है।
मौजूदा दौर में सोयाबीन की वैश्विक मांग अमेरिका की तरफ शिफ्ट हो चुकी है और अमेरिकी बाजार में सोयाबीन में तेजी बनी हुई जिसका असर दुनिया के बाजारों पर भी देखा जा रहा है। भारत ज्यादातर सोया तेल अर्जेटीना से खरीदता है जहां एक जुलाई को सोया तेल का दाम 659.5 डॉलर प्रति टन था, जोकि 24 जुलाई को बढ़कर 732 डॉलर प्रति टन हो गया। जैन बताते हैं कि वैश्विक बाजार की मौजूदा तेजी को देखते हुए लगता नहीं है कि त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को सस्ता खाने का तेल मिल पाएगा।
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