scriptFood oil: सरकारी प्रयासों के बाद भी काबू नहीं आ रहे खाने के तेल | Edible oils are not being controlled despite government efforts | Patrika News

Food oil: सरकारी प्रयासों के बाद भी काबू नहीं आ रहे खाने के तेल

locationजयपुरPublished: Jan 11, 2021 12:00:52 pm

खाने के तेल ( edible oil ) की कीमतें तमाम कोशिशों के बावजूद कम नहीं हो रही हैं। यहां तक कि सरकार ने पाम ऑयल के आयात शुल्क ( food oil import duty ) पर करीब 10 फीसदी की कटौती भी कर दी है। कोरोनाकाल में मांग बढऩे से ब्रांडेड सरसों तेल ( musterd oil ) के भाव 2200 रुपए प्रति 15 किलो टिन को पार कर गए हैं। सोयाबीन रिफाइंड ( Soybean refined ) भी 2000 रुपए प्रति टिन से कम पर उपलब्ध नहीं है।

Food oil: सरकारी प्रयासों के बाद भी काबू नहीं आ रहे खाने के तेल

Food oil: सरकारी प्रयासों के बाद भी काबू नहीं आ रहे खाने के तेल

जयपुर। खाने के तेल की कीमतें तमाम कोशिशों के बावजूद कम नहीं हो रही हैं। यहां तक कि सरकार ने पाम ऑयल के आयात शुल्क पर करीब 10 फीसदी की कटौती भी कर दी है। कोरोनाकाल में मांग बढऩे से ब्रांडेड सरसों तेल के भाव 2200 रुपए प्रति 15 किलो टिन को पार कर गए हैं। सोयाबीन रिफाइंड भी 2000 रुपए प्रति टिन से कम पर उपलब्ध नहीं है। वनस्पति घी एवं मूंगफली तेल की कीमतों में निरंतर तेजी का रुख बना हुआ है। तेल व्यापारियों को उम्मीद है कि अभी अप्रेल से मई तक कीमतें अधिक ही बनी रहेंगी।
जयपुर मंडी में सरसों मिल डिलीवरी 42 प्रतिशत तेल कंडीशन 6625 रुपए प्रति क्विंटल बिक गई। हालांकि ऊंचे भावों पर खाद्य तेलों में उपभोक्ता मांग कमजोर चल रही है। उधर, एनसीडैक्स पर सरसों का वायदा आल टाइम हाई चल रहा है। पाम आयल में 10 साल के हाई लेवल पर कारोबार हो रहा है। इसी प्रकार सीबीओटी पर सोयाबीन छह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। भले ही सरसों का तेल हो फिर रिफाइंड ऑयल हो। पिछले कुछ समय से खाने के तेल की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है। महगांई की सबसे अधिक मार तो सरसों के तेल और सूरजमुखी के तेल पर पड़ रही है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने तेल की कीमतें नीचे लाने के मकसद से ही पाम ऑयल पर 10 फीसदी तक आयात शुल्क भी कम कर दिया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद तेल की कीमतें नीचे नहीं आ रही हैं और रसोई का बजट लगातार बिगड़ता ही जा रहा है।
50 फीसदी तक बढ़ गई कीमत
पिछले 5 महीने में खाने के तेल की कीमत करीब 40 से 50 फीसदी तक बढ़ गई है। सरसों के तेल की कीमत 40 फीसदी, सूरजमुखी के तेल की कीमत 52 फीसदी, सोयाबीन रिफाइंड ऑयल की कीमत 34 फीसदी, राइस ब्रेन रिफाइंड ऑयल 33 फीसदी तक बढ़ गई हैं।
क्यों महंगा हो रहा है तेल
तेल व्यापारियों का कहना है कि भारत में तेल की मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से करीब 65 फीसदी तेल आयात किया जाता है। विदेशों में मौसम खराब होने की वजह से फसलें खराब हुई हैं, जिसके चलते वहां तेल की कीमतें अधिक हैं। लेटिन अमेरिका में सोयाबीन के उत्पादन पर असर पड़ा है, जबकि इंडोनेशिया में पाम ऑयल के उत्पादन पर असर पड़ा है।
दस फीसदी घटाया था आयात शुल्क
भारत दुनिया में पाम ऑयल का सबसे बड़ा खरीदार है। देश में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमत को देखते हुए सरकार ने कुछ समय पहले ही क्रूड पाम ऑयल पर आयात शुल्क 37.5 फीसदी से घटाकर 27.5 फीसदी कर दिया। भारत में क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्लावर ऑयल पर 35 फीसदी आयात शुल्क लगता है।
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