राज्य के पूर्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री ललित भाटी की द्वितीय अपील पर राज्य सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने शिक्षा विभाग के रवैये को अफसोस जाहिर किया। आयोग ने जिला शिक्षा अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई। आयोग ने कहा कि भाटी ने व्यक्तिगत तौर पर ही एक नागरिक के रुप में सूचना चाही है न कि किसी विधिक व्यक्ति के रुप में। आरटीआई आवेदन में अपने नाम के साथ पूर्व मंत्री परिचय लिख देने से पूर्व मंत्री का सूचना का व्यक्तिगत अधिकार समाप्त नहीं हो जाता। नागरिकों को तकनीकी बिन्दुओं में उलझाकर सूचना देने से इन्कार करना कानून की भावना के अनुरुप नहीं है। आरटीआई कानून शासन-प्रशासन में पारदर्शिता लाने एवं नागरिकों को अधिकारिक तौर पर सूचना सार्वजनिक करने का अस्त्र है। आयोग ने शिक्षा विभाग को कानून की पालना की चेतावनी देते हुए पूर्व मंत्री को सूचनाएं नि:शुल्क देने के निर्देश दिए।
भाटी ने जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा, अजमेर से निजी विद्यालयों के निरीक्षण के बारे में सूचनाएं मांगी थी। विभाग ने सूचना का अधिकार कानून की धारा 3 के आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया। विभाग ने कहा कि सूचना केवल नागरिक को ही मिल सकती है जबकि भाटी ने अपने नाम के साथ पूर्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस महामंत्री पद का उल्लेख किया है। इसलिए उन्हें सूचना नहीं दी जा सकती।