scriptलो मैं पास हो गया, स्कूल हुए बंद, मस्ती की पाठशाला शुरु | Education news : child Sessions organized in govt school | Patrika News

लो मैं पास हो गया, स्कूल हुए बंद, मस्ती की पाठशाला शुरु

locationजयपुरPublished: May 09, 2019 06:45:34 pm

Submitted by:

Deepshikha Vashista

प्रदेश के 65 हजार स्कूलों में एक साथ बालसभाओं का आयोजन

jaipur

लो मैं पास हो गया, स्कूल हुए बंद, मस्ती की पाठशाला शुरु

जयपुर.परीक्षा परिणाम के साथ छुट्टियों की खुशी बच्चों के चेहरे पर साफ दिख रही थी। हाथ में परीक्षा परिणाम लिए बच्चे छुट्टियों के लिए झूम उठे। राजस्थान प्रदेश के 65 हजार स्कूलों में गुरुवार को एक साथ बालसभाओं का आयोजन किया गया। इसी के तहत जयपुर के विद्यालयों में भी सुबह बालसभा के बाद बच्चों को उनका परीक्षा परिणाम प्रमाण पत्र वितरित किया गया। छुट्टियों से एक दिन पहले बच्चों ने स्कूल में खूब खुशियां मनाई। इस दौरान कई बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी नजर आए जो बच्चों के परीक्षा परिणाम को लेकर बेहद उत्सुक थे।
हिप हिप हुर्रे, मैं हो गया पास

बालसभा के बाद परीक्षा परिणाम लेकर ज्यादातर बच्चे यही कह रहे थे हिप हिप हुर्रे…मैं पास हो गया। अब पापा से इनाम लूंगा और मम्मी के साथ नानी के घर छुट्टियां मनाउंगा। बच्चे एक दूसरे का परिणाम भी देखने में मशगूल नजर आए। परीणाम के बाद बच्चे जल्द से जल्द घर पहुंच छुट्टियों का मजा लेने की जल्दबाजी में नजर आए।
जहां अधिकारी आए वहां का आयोजन बेहतर

दूसरी ओर जहां अधिकारी आए व शिक्षकों ने अच्छी मंशा से बालसभाएं की, वहीं आयोजन बेहतर तरीके से हुए। अधिकांश स्कूलों में बालसभा के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई। बालसभा की जगह केवल परिणाम जारी किए गए। स्कूलों में बच्चों तक किताबें भी नहीं पहुंच पाई। विभागीय स्तर से सभी विभागों के सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी बालसभाओं के निरीक्षण में लगाई गई थी। वे कर्मचारी भी स्कूलों से नदारद रहे।

मुख्य सचिव ने भी लिया भाग

राजधानी के सांगानेर इलाके स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, विभागीय प्रमुख शासन सचिव आर.वेकेंटश्वरन, विभागीय आयुक्त प्रदीप बोरड़ सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए। स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डी.बी. गुप्ता ने कहा है कि शिक्षा में समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। इसी से शिक्षा का तेजी से विकास होता है। शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ पाठ्यपुस्तकों के विषयों को रोचक ढंग से बच्चों में ग्रहण कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों को रटाने की बजाय खेल-खेल में पाठ्यपुस्तकों के पाठ सीखाने पर जोर दें।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो