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निजी स्कूलों में हो रही मनमानी, आखिर जागे अभिभावक, दिया जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन

locationजयपुरPublished: Apr 18, 2019 12:43:57 pm

Submitted by:

Deepshikha Vashista

राजस्थान पत्रिका की ओर से चलाए जा रहा शिक्षा में बन्द हो लूट अभियान

jaipur

निजी स्कूलों में हो रही मनमानी, आखिर जागे अभिभावक, दिया जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन

जयपुर. बच्चों की शिक्षा के नाम पर निजी स्कूलों में हो रही लूट के खिलाफ अभिभावक लामबन्द हो रहे हैं। गुरुवार को अभिभावक हर साल फीस बढोतरी के विरोध में जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन देने पहुंचे। बुधवार को भी बड़ी संख्या में लोगों-अभिभावकों ने वाट्सऐप पर संदेश भेजकर और कॉल कर निजी स्कूलों की मनमानी वसूली से जुड़े मसले रखें।
राजस्थान पत्रिका के शिक्षा में बन्द हो लूट अभियान से प्रेरित होकर आगे आए अभिभावकों ने कहा कि इस लूट का प्रबल विरोध किया जाएगा। अभिभावकों का कहना था कि निजी स्कूलों में फीस में मनमानी वृद्धि तो की ही जाती है, ड्रेस-स्टेशनरी की भी स्कूल परिसर में ही मनमाने दामों पर बिक्री की जाती है। नियम नहीं होने के बावजूद हर साल एडमिशन फीस वसूली जा रही है। तीन से छह माह की फीस एकसाथ लेकर ब्याज कमाया जा रहा है। अभिभावकों ने कहा कि शिक्षा विभाग मौन है।
तीन माह की फीस दो, तब देंगे टीसी
 एक अभिभावक ने बताया कि उनके 2 बच्चे शास्त्रीनगर स्थित एक स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल ने एक बच्चे को कमजोर बताकर निकाल दिया तो उन्होंने दूसरे बच्चे को निकालना चाहा लेकिन स्कूल ने टीसी नहीं दी। स्कूल का कहना था कि पहले नए सत्र की तिमाही और एडमिशन की फीस भरें। तब ही टीसी मिलेगी।
बड़ा सवाल : कब जागेगी सरकार

सी-स्कीम स्थित एक नामी निजी स्कूल हर साल मोटी फीस बढ़ा रहा है। सरकार की नाक के नीचे स्कूल मनमानी कर रहे हैं। अभिभावक विरोध करते हैं लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। सरकार आखिर कब जागेगी?
– मोहनलाल शर्मा
बच्चा शुरू से एक ही स्कूल में पढ़ रहा है लेकिन स्कूल हर साल उसका री-एडमिशन करता है। इसके नाम पर 6 हजार रुपए फीस ली जाती है जबकि बच्चा पास होकर स्वत: अगली क्लास में जाएगा।
– विपिन
वैशालीनगर स्थित निजी स्कूल ने 5200 रुपए फीस बढ़ा दी। इतनी तो तनख्वाह ही नहीं बढ़ती। सरकारी स्कूलों को कमजोर कर रहे हैं ताकि बच्चे निजी स्कूलों में ही पढ़ें।
– रतनलाल सामोता
ओटीएस चौराहा स्थित एक स्कूल 6 महीने की फीस एकसाथ ले रहा है। इस साल 50 हजार से अधिक फीस एकसाथ ली है। सरकार और विभाग, सब हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
– पंकज जैन
सोए हुए हैं जिम्मेदार
अभिभावक पिछले 5-7 वर्षों से आवाज उठा रहे हैं। कई अधिनियम, नियम बन गए मगर लोगों को राहत नहीं मिली। स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने वाला मानो कोई नहीं है। दिनेश कांवट, संयोजक, पेरेंट्स वेल. सोसायटी
कानून बने-बदले, अब लगाम भी कसे सरकार
कांग्रेस सरकार ने फीस का दूसरा कानून बनाया, भाजपा सरकार ने बदलकर नया कानून बनाया। सरकारें कानून ही बनाने में लगी हैं और निजी स्कूल लोगों की जेब साफ कर रहे हैं। फीस पर कोई लगाम नहीं है। किसी नियम-अधिनियम से फीस नहीं बढ़ाई जा रही। स्कूल पहले मनमर्जी से फीस बढ़ाते थे, आज भी वैसे ही चल रहा है।
– सुशील शर्मा, राजस्थान अभिभावक संघ
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